बाघों के संरक्षण का आदेश फाइलों में गुम
जोन बनाने के लिए कई बिदुओं पर मानक तय हैं। इसके लिए आबादी की सहमति जरूरी है साथ ही अन्य कई बिदुओं पर सर्वे करना है।
लखीमपुर:बाघों के संरक्षण का आदेश करीब सात माह से फाइलों में गुम है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पत्राचार के बावजूद अधिकारी बफरजोन बनाने की दिशा में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सके। ऐसे में मानव-बाघ संघर्ष को कैसे रोका जाएगा, जिम्मेदारों के पास इसका जवाब भी नहीं है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुनील पांडेय ने जुलाई 20219 में इस संबंध में पत्र भेजा था। जिसमें उन्होंने महेशपुर रेंज में 28 दिसंबर से जून 2019 तक 28 जगहों पर लगाए गए कैमरा ट्रैप के आंकड़ों का हवाला दिया है। महेशपुर में कुल 10 व्यस्क बाघ तथा सात अल्प व्यस्क बाघ हैं। उस समय तीन बाघ पूरी तरह आरक्षित क्षेत्र के समीप खेतों में पहुंचे थे। जबकि दो नर समेत पांच बाघों का मूवमेंट खेतों व जंगल क्षेत्र में आवागमन करते पाया गया था। तीन व्यस्क और छह अल्प व्यस्क बाघ आरक्षित वन क्षेत्र में विचरण कर रहे थे। बाघों की मौजूदगी सिर्फ 25 किलोमीटर के दायरे में थी।
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सिमट जाएगा दक्षिण खीरी, बढ़ जाएगा बफरजोन
पिछले वर्षों में उत्तर खीरी वन प्रभाग को दुधवा पार्क के बफरजोन का दर्जा देते समय दक्षिण खीरी वन प्रभाग की मैलानी और भीरा रेंज को भी शामिल कर लिया गया था। इससे दक्षिण खीरी में महेशपुर, गोला, मैगलगंज और शारदानगर रेंज ही बची है। नए प्रस्ताव से पूरा डिवीजन सिर्फ दो रेंज में सिमट कर रह जाएगा, जबकि बफरजोन में 12 रेंज हो जाएंगे।
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बफरजोन बनाने के लिए कई बिदुओं पर मानक तय हैं। इसके लिए आबादी की सहमति जरूरी है, साथ ही अन्य कई बिदुओं पर सर्वे करना है। इस संबंध में अधीनस्थ अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई है।
समीर कुमार, डीएफओ