आपत्ति 35 दुकानों पर, खबर एक की भी नहीं..
संवादसूत्र धौरहरा अक्टूबर 2016 की एक सुबह धौरहरा कस्बा एक जोरदार धमाके की आवाज सुनकर जागा था। ये धमाका बाजार में रहने वाले मोहम्मद सफी के घर में हुआ था। धमाका इतना ताकतवर था कि सफी का आधे से ज्यादा घर ढह गया।
लखीमपुर: दीपावली के नजदीक आते ही एक बार फिर प्रशासन को अवैध पटाखा कारोबार की चिता सताने लगी है। डीएम शैलेंद्र सिंह ने निर्माण और भंडारण पर नजर रखे को कहा है लेकिन, यहां जिले का अग्निशमन विभाग अवैध पटाखा कारोबार को लेकर पूरी तरह बेफिक्रहै। यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि क्योंकि, 132 लाइसेंसी दुकानों में जिन 35 दुकानों पर खुद महकमे के अधिकारियों ने आपत्ति लगाई थी वह कारोबार से जुड़े हैं या नहीं इस बाबत कोई जानकारी तक नहीं है। संभव है कि इनमें बहुत अवैध कारोबार से जुड़े हों लेकिन, उनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। आपत्ति वाली दुकानें ईसानगर, मितौली, पलिया, मोहम्मदी आदि जगहों की हैं। इनमें तमाम दुकानें ऐसी हैं जहां खतरे को देखते हुए दुकान के स्थल को सही नहीं पाया गया था।
अग्निशमन विभाग इन दुकानों पर आपत्ति लगाकर निष्क्रिय हो गया, अधिकारियों ने पिछले दो सालों में इन दुकानों का सत्यापन तक नहीं कराया है। जिसके कारण यह साफ नहीं हो पा रहा है कि दुकानदार पटाखा कारोबार की जगह क्या कर रहे हैं। हैरान करने वाली बात ये है कि कई सालों से अधिकारियों को अवैध पटाखा कारोबार की कोई शिकायत नहीं मिली है। लिहाजा वह मान कर बैठे हैं कि जिले में कहीं भी अवैध पटाखा कारोबार नहीं हो रहा है। फिलहाल जिले में अग्निशमन विभाग की रिपोर्ट पर डीएम ने 97 दुकानों के लाइसेंस का नवीनीकरण किया है। दावा किया जा रहा है कि इन दुकानों पर प्रशासन की पूरी नजर है। इसके उलट एक सच यह भी है कि जिले के शहरी और ग्रामीण इलाकों में अवैध पटाखा निर्माण और उसका भंडारण बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।
कर्मचारी ही नहीं, कैसे रोकें अवैध कारोबार
अग्निशमन अधिकारी के स्वीकृत छह पदों के मुकाबले एक भी उपलब्ध नहीं हैं। अग्निशमन अधिकारी द्वितीय के छह के सापेक्ष दो, लीड फायरमैन के 19 पदों के सापेक्ष आठ, 19 के सापेक्ष दो चालक, 127 के सापेक्ष सिर्फ 39 फायरमैन ही तैनात हैं।
सीमाई इलाकों में हैं पटाखा दुकानें
धमाकों की कई घटनाओं के बाद दुकानों को आबादी से बाहर कर दिया गया। कस्बों में भी यह नियम लागू है। शहर में एलआरपी के आगे दो, देवकली रोड, उल्ल नदी पुल, गढ़ी गांव में एक-एक दुकानें संचालित हैं। जबकि उदयपुर महेवा में दो पटाखे की दो दुकानें हैं।
जिम्मेदार की सुनिए
प्रत्येक तहसील में फायर स्टेशन प्रभारियों को पटाखा दुकानों की चेकिग का निर्देश दिया गया है। हालांकि अवैध पटाखा कारोबार को लेकर जिले में कहीं भी कोई शिकायत नहीं है। फिर भी नजर रखी जा रही है।
मुकीमुल हक, अग्निशमन अधिकारी