पर्सनल लोन दिलाने के नाम पर ठगे गए फल संरक्षण केंद्र के प्रभारी
शाहजहांपुर में तैनाती के दौरान एचडीएफसी से किया था आवेद इंडियन ओवरसीज बैंक में केसीसी बनवाने पहुंचे तो पता चली देनदारी दिल्ली में उनके नाम से खाता खुलवा कर निकाली गई रकम
लखीमपुर : फल संरक्षण केंद्र के प्रभारी राजेश पिप्पल को पर्सनल लोन दिलाने के नाम पर तीन लाख की ठगी का शिकार बनाया गया। राजेश ने शाहजहांपुर में तैनाती के दौरान वित्तीय वर्ष 2017-18 में एचडीएफसी बैंक से पर्सनल लोन के लिए अप्लाई किया था। उस दौरान बताया गया कि आवेदन निरस्त हो गया, अभी नहीं हो पाएगा। जब वह लखीमपुर की इंडियन ओवरसीज बैंक में केसीसी बनवाने पहुंचे तो पता चला कि उस पर तीन लाख की देनदारी है। राजेश ने पता किया तो मालूम हुआ कि दिल्ली में उनके नाम से खाता खुलवा कर यह रकम निकाली गई है। इसके अलावा भी उसके नाम से कर्ज लेने की कोशिश की गई, लेकिन पहले से बकाया दर्ज होने के कारण लोन नहीं निकाला जा सका। राजेश ने पुलिस अधीक्षक को शिकायत प्रार्थना पत्र दिया। जिसकी जांच पसगवां थानाध्यक्ष को सौंपी गई।
पीड़ित राजेश के अनुसार जब वह जिला फल संरक्षण व प्रशिक्षण प्रभारी पर शाहजहांपुर में तैनात थे तन उनके द्वारा ओम सिंह निवासी ग्राम बक्करपुर कोतवाली पसगवां व इंदु निवासी पैना शाहजहांपुर ने प्रशिक्षण प्राप्त किया था। इसी दौरान पीड़ित को रुपयों की आवश्यकता थी जिसकी चर्चा प्रशिक्षुओं से करने पर ओम ने बताया कि वह शाहजहांपुर की एचडीएफसी ब्रांच में फील्ड इंचार्ज के पद पर तैनात हैं, वह उनका पर्सनल लोन करा देंगे, जिसका इंदु ने भी समर्थन किया। जिसके बाद सभी आवश्यक कागजात भी दे दिए।
कोतवाली क्षेत्र के गांव जब वह कोतवाली पसगवां पहुंचे तो एसएचओ आदर्श सिंह ने ओम सिंह से मामले की जानकारी ली। जिसमें उसमें बताया कि उसके द्वारा फाइल तैयार कर बैंक आरएम सोमपाल दीक्षित को मुनीस व अभिषेक के माध्यम से सौंप दी थी। मामले को शाहजहांपुर का बताते हुए ओम के साथ संबंधित बैंक भेज दिया। शाहजहांपुर की एचडीएफसी बैंक मामले को फाइनेंस यूनिट एचडीबी का बताकर पल्ला झाड़ रही है। जब वह एचडीबी पहुंचे तो बीएम सुधीर सिंह ने शिकायती प्रार्थनापत्र, एक अन्य एप्लीकेशन व शिविल डिटेल की प्रतिलिपि की फोटो लेकर हेड ऑफिस भेजने की बात कही, लेकिन उन्होंने किसी भी डाक्यूमेंट की रिसीविंग देने से इंकार कर दिया। उनके अनुसार एचडीबी की बदरपुर, फरीदाबाद शाखा से ट्रांजेक्शन हुआ है। हेड ऑफिस से आदेश आने से पहले वह रिसीविग नहीं दे सकते। ऐसे में एचडीएफसी व एचडीबी के जिम्मेदारों की कार्यशैली भी संशय में है। सिर्फ एक-एक बार ही नहीं कई बार उनके फर्जी एकाउंट से रुपये निकालने के भी प्रयास हुए। फिलहाल पीड़ित को सभी जिम्मेदार एक दूसरे के ऑफिस में ही दौड़ाते रहे लेकिन समस्या का कोई समाधान न हो सका।