अखिर कोई चंदू बाघ की भी लोकेशन बताए
लखीमपुर: नेपाल में कार से टकराकर जख्मी हुए बाघ की पहचान चंदू बाघ के रूप में नहीं हुई
लखीमपुर: नेपाल में कार से टकराकर जख्मी हुए बाघ की पहचान चंदू बाघ के रूप में नहीं हुई है। घायल हुए बाघ के रेडियो कॉलर नहीं लगा है और उसकी धारियां भी चंदू बाघ की धारियों से मेल नहीं खाती। दुधवा पार्क प्रशासन और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने जब इस बात की पुष्टि कर ली तो अधिकारियों ने राहत की सांस ली। यह उनके लिए वाकई यह सुखद जानकारी थी लेकिन अब सवाल ये खड़ा करता है कि आखिर चंदू बाघ कहां है? क्योंकि पिछले करीब दो से ढाई महीने से पार्क अधिकारियों को चंदू बाघ की लोकेशन नहीं मिली है।
पीलीभीत में ¨हसक हो चुके बाघ को अधिकारियों द्वारा ट्रैंकुलाइज कर नौ मार्च 2018 में दुधवा लाया गया था। दुधवा में ही बाघ का नाम चंदू रखा गया। इसके बाद गले में रेडियो कॉलर लगाकर जंगल में छोड़ दिया गया। मंशा थी रेडियो कॉलर लगने से चंदू बाघ की लोकेशन पार्क अधिकारियों को मिलती रहे। रेडियो कॉलर लगने के करीब एक से डेढ़ माह तक बाघ की लोकेशन मिलती रही लेकिन, अप्रैल माह के बाद चंदू बाघ के बारे में पार्क प्रशासन को कोई जानकारी नहीं मिल पाई। शुरू में इस चर्चा ने जोर पकड़ा कि चंदू बाघ नेपाल चला गया है लेकिन, कभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई। एक दिन पहले जब नेपाल में बाघ के जख्मी होने की खबर आई तो यह आशंका जताई जाने लगी कि कहीं यह चंदू बाघ ही तो नहीं है लेकिन, बाघ की धारियां अलग होने और रेडियो कॉलर न मिलने की वजह से यह साफ हुआ कि घायल बाघ चंदू नहीं है। ऐसे में अब वन्यजीव प्रेमियों को चंदू बाघ की लोकेशन जानने जिज्ञासा तेज होने लगी है। डीडी दुधवा महावीर कौजलगि कहते हैं कि चंदू बाघ की लोकेशन भले न मिल रही हो लेकिन, वह जहां भी सुरक्षित है। फिलहाल यह प्रयास किया जा रहा है कि उसे जल्द लोकेट कर लिया जाए।