नेपाल बॉर्डर से सटे इलाके में धान खरीद केंद्र लगाने पर उठ रहे सवाल
संवादसूत्र पलियाकलां (लखीमपुर) गेंहू के बाद धान खरीद केंद्रों की स्थापना में जो एक बात कॉमन नजर आ रही है वह है नेपाल बार्डर से सटे इलाके में अधिक केंद्रों की स्थापना। यहां चंदनचौकी इलाके में जोकि नेपाल बार्डर से सटा हुआ है तीन खरीद केंद्र लगा दिए गए हैं।
लखीमपुर : गेहूं के बाद धान खरीद केंद्रों की स्थापना में जो एक बात कॉमन नजर आ रही है वह है नेपाल बॉर्डर से सटे इलाके में अधिक केंद्रों की स्थापना। यहां चंदनचौकी इलाके में, जोकि नेपाल बॉर्डर से सटा हुआ है, तीन खरीद केंद्र लगा दिए गए हैं। सब जानते हैं इस क्षेत्र में धान की इतनी आवक नहीं है जितने केंद्र लगाए गए हैं।
यहां चंदनचौकी लैंपस, लैंपस बनकटी, सहकारी संघ चंदनचौकी केंद्र नेपाल बॉर्डर से सटे इलाके में लगाए गए हैं। पूरे इलाके में कुल 37 गांव ही हैं। यहां धान की खेती अच्छी होती है, लेकिन उसका उपयोग थारू जनजाति के लोग अपने दैनिक खानपान में अधिक करते है। इस लिहाज से भले ही यहां धान का रकबा ज्यादा हो, लेकिन सरकारी केंद्रों तक धान बड़ी मात्रा में पहुंचेगा इसमें संशय ही रहता है। उधर पलिया मंडी में केवल दो केंद्र ही स्थापित किए जा सके हैं। वे भी दोनों एक साथ लगे है। संपूर्णानगर, मंझगईं और भीरा में एक भी खरीद केंद्र नहीं लगाया गया है।
नमी के चलते कम हो पा रही खरीद
जो केंद्र स्थापित भी हुए हैं वहां पर धान में नमी के चलते खरीद फिलहाल कम हो पा रही है। हालांकि आढ़ती नमी वाला धान ही खरीदने में जुटे हैं। पलिया मंडी में ही इस समय सड़कों पर धान बिखरा हुआ है, जिसे आढ़ती खरीदकर सुखाने में लगे हैं। किसान भी जल्दी पैसों के चक्कर में सरकारी समर्थन मूल्य से बेहद कम दाम में आढ़तियों को धान बेंच रहे हैं।
पिछले साल हो चुकी है कोशिश
चंदनचौकी इलाके में कई केंद्र स्थापित करने का लाभ आढ़ती उठाते हैं, वे पलिया में खरीद करके उसे गोदाम में पहुंचा देते है और खरीद केंद्र से गोदाम तक अनाज लाने का किराया मिल बांटकर हजम कर लिया जाता है। इस तरह का प्रयास पिछले साल गेहूं खरीद के समय किया जा चुका है। मामला तब खुला जब एक ट्रक इसी तरह का पकड़ लिया गया था। जिसको चंदनचौकी से आना दर्शाकर पलिया से माल लेकर गोदाम तक पहुंचा दिया गया था ।