सन्नाटे में खरीद क्रय केंद्र, आढ़तियों के फड़ गुलजार
लखीमपुर/पलियाकलां : धान खरीद की बदहाली को देखकर सरकार ने भले ही बाध्यताओं को कम किया है, लेकिन हालात
लखीमपुर/पलियाकलां : धान खरीद की बदहाली को देखकर सरकार ने भले ही बाध्यताओं को कम किया है, लेकिन हालात में अपेक्षित सुधार अभी भी नहीं हो पाया है। पहले 3200 मीट्रिक टन धान खरीदा गया था और एक हफ्ते बाद यह खरीद 5500 एमटी तक पहुंची है। सरकारी क्रय केंद्रों के मुकाबले धान खरीद में आढ़तियों की फड़ हर वक्त गुलजार रहती है। जिले में कुल 101 धान क्रय केंद्रों में 100 खरीद केंद्र खुल चुके हैं, जिनमें अभी 40 केंद्रों में ही खरीद की जा रही है। ग्रामीण इलाकों या बॉर्डर के चंदनचौकी जैसे इलाके में सेंटर लगाकर विवाद खड़ा किया, बाद में संपूर्णानगर, मझगईं और भीरा में कोई केंद्र न लगाने से किसानों को परेशानी हुई। सरकारी क्रय केंद्रों पर 1750 रुपये प्रति क्विंटल के बजाए धान 1400 से 1500 क्विंटल के हिसाब से मंडी में आढ़तियों को बेच रहे हैं।
राजापुर मंडी में आरएफसी के तीन, भारतीय खाद्य निगम व पीसीएफ के एक-एक केंद्र बने हैं। पीसीएफ को छोड़ अन्य केंद्रों पर अभी तकइ महज 3500 क्विंटल ही धान खरीदा गया है। पलिया मंडी में आवश्यक वस्तु निगम के दो, सहकारी संघ का एक केंद्र लगा है। इनमें से आवश्यक वस्तु निगम पर ही ठीक ठाक तौल हुई जबकि सहकारी संघ का केंद्र ज्यादातर समय बंद ही रहता है।
किसानों की सुनिए
ग्राम मलिनिया के किसान ¨रकू ¨सह ने बताया कि 20 दिन पहले धान लेकर वह मंडी गए थे लेकिन, तब केंद्र शुरू ही नहीं हो पाए थे, इंतजार के बाद कहा गया कि धान में नमी है। मजबूरन आढ़तियों को ही धान बेंच दिया। अब तो गन्ने का सीजन शुरू हो गया है और इसी पर ध्यान लगाए हुए हैं।
नौगवां निवासी दिलीप ओझा का कहना है कि सरकार की नीतियों का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा। मझगईं क्षेत्र में एक भी धान खरीद केंद्र नहीं लगाया गया था। उन्होंने अपना धान 1500 रुपये प्रति क्विंटल आढ़तियों को बेचा है। क्रय केंद्र पर पंजीकरण, सत्यापन, कागजात जैसी समस्याएं हैं।
बिजौरिया निवासी घनश्याम ने बताया कि धान लेकर वह मंडी आए थे। सरकारी केंद्र पर ले गए तो लेने से नमी बताकर मना कर दिया। किसी पचडे में पड़ने के बजाए सस्ते दर पर धान आढ़तिए को बेचकर छुट्टी पा ली। आगे और भी फसल तो बोनी है इसीलिए नगदी की आवश्यकता थी।
भीरा निवासी प्रेम ¨सह ने बताया कि उनके इलाके में एक भी सरकारी धान खरीद केंद्र नहीं लगाया गया। सबसे पास का केंद्र पलिया मंडी में था। धान लेकर आए तो नियम बताए गए। धान में नमी की बात कही गई। मजबूरन आढ़तियों के हाथों 1400 में धान बेचना पड़ा।