काठमांडू से पैदल चलकर कुशीनगर पहुंचे भिक्षु
तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा के विश्व में शांति की स्थापना के प्रयासों से प्रेरित होकर के तेनजिंग काठमांडू (नेपाल) से पैदल चलकर मंगलवार को कुशीनगर पहुंचे।
कुशीनगर: तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा के विश्व में शांति की स्थापना के प्रयासों से प्रेरित होकर के तेनजिंग काठमांडू (नेपाल) से पैदल चलकर मंगलवार को कुशीनगर पहुंचे। तिब्बती बुद्ध मंदिर कुशीनगर में ठहरे लामा ने बताया कि उन्होंने अपनी यात्रा जनवरी 2017 में काठमांडू के संपटें¨लग मोनास्ट्री से शुरू की। कहा कि रास्ते में लोगों के सहयोग से यात्रा कर रहे हैं। बुद्ध के सिद्धांतों को जीवन में उतारने की सलाह देते हैं। कहते हैं कि बौद्ध धर्म शांति, करुणा और मैत्री का संदेश देता है। इसी से विश्व में शांति की कल्पना की जा सकती है। बोधगया से वाराणसी पहुंचने में 25 दिन लगे। एक नवंबर से चल कर कल कुशीनगर पहुंचे। यहां लगभग एक माह व्यतीत करने के बाद लुंबिनी के लिए प्रस्थान करेंगे और वहां से काठमांडू चले जाएंगे। कुशीनगर पहुंचने पर तिब्बती बुद्धिस्ट मोनास्ट्री के प्रबंधक लामा तेन¨जग ग्यात्सो, ओमप्रकाश कुशवाहा आदि ने उनका स्वागत किया।
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समस्याओं के समाधान के लिए सौंपा ज्ञापन
फोटो 21पीएडी-15-सभासद प्रतिनिधि को ज्ञापन सौंपते बुद्ध नगरी वार्डवासी।
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कुशीनगर: अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थली के वार्ड बुद्ध नगरी की समस्याओं के समाधान के लिए बुधवार को वार्डवासियों ने सभासद प्रतिनिधि और पूर्व सभासद केशव ¨सह को नगर पालिका अध्यक्ष/अधिशासी अधिकारी को चार सूत्री ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में वार्डवासियों ने कहा कि माथा कुंवर बुद्ध मंदिर से पिपराझाम जाने वाले मार्ग पर 150 मीटर तक दोनों किनारे इंटरला¨कग, दोनों तरफ ड्रेनेज, स्ट्रीट लाइट, पेयजल, सफाई के लिए कूड़ेदान, सुलभ शौचालय आदि की व्यवस्था किया जाए। माथा कुंवर बुद्ध मंदिर से कुशीनगर रजवाहा पुल तक नया बाजार बस गया है। यहां भारतीय पर्यटकों के साथ-साथ विदेशी पर्यटक भी आते रहते हैं। इसलिए यहां सुविधाओं का होना अति आवश्यक है। सभासद प्रतिनिधि ¨सह ने कहा कि उनकी मांगें जायज हैं। वह समस्या समाधान के लिए संबंधित को ज्ञापन सौंपते हुए आग्रह करेंगे। इस अवसर पर हैदर अली सिद्दी़की, नागेंद्र पांडेय, श्रीकृष्ण प्रसाद चौरसिया, जीउत गोंड आदि उपस्थित रहे।
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मुख्यमंत्री दरबार जाने की योजना बना रहा पट्टाधारक
गोबरहीं : कसया तहसील में पट्टे की भूमि को दूसरे के नाम पर दर्ज कर दिया गया है। इसका खुलासा तब हुआ, जब पट्टा धारक अवैध कब्जा हटाने की शिकायत लेकर तहसील पहुंचा। अधिकारी ने मातहत से रिपोर्ट तलब की तो वह भूमि दूसरे के नाम पर दर्ज मिली। मामले में कार्रवाई की जा रही है। ग्रामवासी सीताराम को गाटा संख्या 694 में 12 अक्टूबर 1982 को प्रशासन ने आबादी पट्टा स्वीकृत किया। किसी कारण वश पट्टे की भूमि पर कब्जा नहीं किया जा सका। पट्टाधारक का आरोप है कि कुछ दिन बाद गांव के ही एक दबंग व्यक्ति ने उस पर कब्जा जमा लिया। इसकी शिकायत लेकर तहसील जाने पर पता चला कि वह भूमि अवैध कब्जा धारक के नाम से दर्ज हो गई है। पट्टाधारक ने तहसील प्रशासन द्वारा कार्रवाई न करने का आरोप लगाया है।