कुशीनगर में नौकायन का आंनद उठा सकेंगे सैलानी
कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय पर्यटक केंद्र कुशीनगर में पर्यटक नौकायन का भी आनंद उठा सकेंगे।
कुशीनगर: अंतरराष्ट्रीय पर्यटक केंद्र कुशीनगर में पर्यटक नौकायन का भी आनंद उठा सकेंगे। तैयारियों के क्रम में एक नौका हिरण्यवती नदी में उपलब्ध करा दी गई है। नदी के बुद्धा घाट से करुणा सागर घाट तक 2.5 किमी की दूरी में नौका चलेगी।
बुधवार को ज्वाइंट मजिस्ट्रेट पूर्ण वोहरा ने बुद्ध मंदिर मार्ग पर चल रहे सुंदरीकरण कार्य का निरीक्षण करने के क्रम में दोनों घाटों की स्थिति भी देखी। उन्होंने बुद्ध पीजी व बुद्ध इंटर कालेज और छात्रावास के आगे अतिक्रमण को हटाने का निर्देश दिया। छात्रावास परिसर की सफाई करवाकर अस्थायी पार्किंग बनाने का सुझाव दिया। बुद्धा घाट परिसर को फ्री वाई-फाई जोन बनाने, नदी में लाइट फाउंटेन बनाने, घाट के किनारे पेंटिग करने का निर्देश दिया गया। उन्होंने बताया कि नदी में पानी की पर्याप्त व्यवस्था कर लेने के बाद इसका शुभारंभ किया जाएगा। कालेज के प्राचार्य डा. अमृतांशु कुमार शुक्ल, आशीष द्विवेदी, ब्रजेश मणि त्रिपाठी, आनंद प्रकाश उपाध्याय, आर्किटेक्ट कृष्णा गुप्त, सुनील पांडेय आदि उपस्थित रहे। गर्मियों में भी लबालब रहेगी हिरण्यवती नदी
बुद्धकालीन हिरण्यवती नदी को गर्मियों में पानी से लबालब रखने की योजना पर प्रशासन ने कार्य करना शुरू कर दिया है। बुधवार को जिलाधिकारी भूपेंद्र एस चौधरी ने नदी का निरीक्षण किया। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट पूर्ण वोहरा को इस दिशा में कार्य शुरू कराने का निर्देश दिया। इसके तहत नदी को पानी के लिए अगल-बगल से गुजर रही नहरों व नदियों से जोड़ा जाएगा। नदी के वेटलैंड में पौधारोपण कर सुरम्य स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। अभी तक इस नदी में बरसात के समय को छोड़कर शेष दिनों में पानी का अभाव रहता है। ऐसे में प्रशासन ने बगल के गांव परासखाड़ से गुजर रही छोटी गंडक नहर व पकवाइनार नहर को नदी में मिलाने की कार्ययोजना बनाई है। पौधरोपण शुरू भी करा दिया है। सुरम्य वातावरण में पर्यटक वाकिग, जागिग, ध्यान, योग भी करने लगे हैं।
बुद्ध ने देह त्याग के पूर्व किया था जल ग्रहण
हिरण्यवती नदी का ऐतिहासिक महत्व है। भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार स्थल मुकुटबंधन चैत्य नदी के तट पर स्थित है। देह त्याग के पूर्व गौतम बुद्ध ने नदी जल का सेवन किया था। कुशीनगर आने वाले दुनिया भर के बौद्ध धर्मावलंबी नदी जल से आचमन करते हैं। प्रशासन ने सैलानियों की सुविधा के लिए नदी तट पर घाट भी बनवाए हैं।