राजस्व अभिलेखों से नदारद है पर्यटक नगरी कुशीनगर
कुशीनगर के अधिकारियों ने अभिलेखों में नाम दर्ज कराने पर नहीं दिया ध्यान अलग-अलग ग्राम पंचायतों में स्थित हैं बुद्ध से संबंधित स्थल
कुशीनगर: भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली और अंतरराष्ट्रीय पर्यटक नगरी कुशीनगर का नाम अब तक राजस्व अभिलेखों में दर्ज नहीं हो सका है।
भगवान बुद्ध लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व महापरिनिर्वाण के लिए कुशीनगर आए थे। यहां उनके प्रथम आसन स्थल पर 11 वीं सदी में निर्मित माथा कुंवर बुद्ध मंदिर और निर्वाण स्थल पर निर्मित महापरिनिर्वाण बुद्ध मंदिर विशुनपुर बिदवलिया ग्राम सभा में उनके दाह संस्कार स्थल पर निर्मित रामाभार स्तूप अनरुधवा ग्राम सभा में दर्ज है। इस बात की चर्चा तब होती है जब बाहर से यहां आने वाले भारतीय और विदेशी लोग विकास कार्यों के लिए जमीन खरीदते हैं। तब पता चलता है कि विभिन्न ऐतिहासिक स्थल विभिन्न गावों के अभिलेख में दर्ज हैं।
कुशीनगर के विधायक रजनीकांत मणि ने त्रिपाठी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महत्व की पर्यटक स्थली कुशीनगर का नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज कराने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र प्रेषित किया जा रहा है।
जिलाधिकारी एस राज लिंगम ने कहा कि पर्यटक नगरी कुशीनगर का नाम राजस्व अभिलेखों में अंकित कराने के लिए नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
एकेडमिक कौंसिल के सदस्य बने प्रोफेसर जयप्रकाश
हाटा विकास खंड के पिपरैचा गांव निवासी प्रोफेसर जयप्रकाश नारायण द्विवेदी को गुजरात के श्रीसोमनाथ संस्कृत यूनिवर्सिटी वेरावल के एकेडमिक कौंसिल का सदस्य बनाया गया है। वे द्वारकाधीश संस्कृत एकेडमी द्वारका के निदेशक का दायित्व संभाल रहे हैं।
यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डा. दशरथ जाधव ने इन्हें यह जानकारी दी है। इनका कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। प्रोफेसर जयप्रकाश इस पद पर सातवीं बार चयनित किए गए हैं। दो बार राज्यपाल के प्रतिनिधि के रूप में कार्यपरिषद सदस्य भी रह चुके हैं। संस्कृत शिक्षा में उल्लेखनीय योगदान के लिए राष्ट्रपति की ओर से सम्मानित किया जा चुके हैं।