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भगवान को जानने के लिए अंतरआत्मा का पवित्र होना जरूरी

करुणा दया और प्रेम के माध्यम से भगवान तक पहुंचा जा सकता है। भगवान को जानने के लिए अंतर आत्मा का पवित्र होना जरूरी है। ठीक उसी तरह सूर्य और चंद्रमा की किरणों को देख कर उसके पास पहुंचा जा सकता है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 11:28 PM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 11:28 PM (IST)
भगवान को जानने के लिए अंतरआत्मा का पवित्र होना जरूरी
भगवान को जानने के लिए अंतरआत्मा का पवित्र होना जरूरी

कुशीनगर : करुणा, दया और प्रेम के माध्यम से भगवान तक पहुंचा जा सकता है। भगवान को जानने के लिए अंतर आत्मा का पवित्र होना जरूरी है। ठीक उसी तरह सूर्य और चंद्रमा की किरणों को देख कर उसके पास पहुंचा जा सकता है।

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यह बातें फाजिलनगर स्थित काली मंदिर परिसर में चल रहे नौ दिवसीय श्रीमछ्वागवत कथा के पांचवें दिन श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप मूर्ति से मीरा के बेशुमार प्यार को सुनाते हुए कथा वाचक दिव्य सागर ने कही। कहा कि जब मीरा छोटी थी और सामने से बरात गुजर रही थी तभी उसने मां से पूछा तो मां ने कहा दूल्हा, दुल्हन को लेने जा रहा है। मीरा ने मां से पूछा मेरा दूल्हा कहा है। बार-बार जिद करने पर बगल में रखी भगवान श्रीकृष्ण की बाल मूर्ति दिखाते हुए कहा यही तुम्हारे दूल्हा हैं। वहीं से मीरा ने श्रीकृष्ण को अपना पति मान कर अपने भाव, करुणा, दया, प्रेम के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण को अपने बस में कर लिया।

कथा का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ। ओमप्रकाश सिंह, दिनेश सिंह, यशपाल सिंह, धीरज वर्मा, सत्येंद्र सिंह, ब्यास निगम, पिटू राव, गिरजेश सिंह, रितेश जायसवाल, राहुल सिंह आदि मौजूद रहे।


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