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अंधेरा होते ही ठहर जाते बसों के पहिये

दिन ढलते ही पडरौना से देवरिया गोरखपुर की यात्रा रोडवेज के भरोसे मुश्किल हो जाती है। बस न मिलने से यात्री रात तक परेशान रहते हैं। पडरौना डिपो से शाम 6.30 बजे कानपुर के लिए आखिरी बस चलती है। इसके बाद यहां से गोरखपुर देवरिया आदि जगहों के यात्री परेशान हो जाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Mar 2020 10:53 PM (IST)Updated: Tue, 17 Mar 2020 10:53 PM (IST)
अंधेरा होते ही ठहर जाते बसों के पहिये
अंधेरा होते ही ठहर जाते बसों के पहिये

कुशीनगर : दिन ढलते ही पडरौना से देवरिया, गोरखपुर की यात्रा रोडवेज के भरोसे मुश्किल हो जाती है। बस न मिलने से यात्री रात तक परेशान रहते हैं। पडरौना डिपो से शाम 6.30 बजे कानपुर के लिए आखिरी बस चलती है। इसके बाद यहां से गोरखपुर, देवरिया आदि जगहों के यात्री परेशान हो जाते हैं।

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पडरौना से गोरखपुर व देवरिया के लिए रात आठ बजे तक बस चलाए जाने की मांग लंबे समय से उठती रही, पर इस समस्या का समाधान नहीं हुआ। उधर विभाग बसों की कम संख्या का हवाला दे अपनी जिम्मेदारी पूरी मान बैठा है।

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वर्ष 2013 में बना था पडरौना डिपो

-वर्ष 2013 में पडरौना डिपो की स्थापना हुई थी। इससे पहले यहां बसों के संचलन की जिम्मेदारी देवरिया डिपो के तहत थी। मौजूदा समय में डिपो में परिवहन निगम की 21 तथा 14 अनुबंधित सहित कुल 35 बसें संचालित होती हैं। डिपो में नियमित व संविदा पर तैनात 50 परिचालक तथा 54 चालक हैं।

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परिवार सहित घटों परेशान रहे विनोद

-रविवार की रात साढ़े सात बजे रोडवेज परिसर में एक दर्जन यात्री बस के इंतजार में घटों परेशान हुए। मंसाछापर रिश्तेदारी में आए देवरिया जिले के पथरदेवा निवासी विनोद ने बताया कि जैसे तैसे कसया पहुंचा जाए। वहा से आगे देखा जाएगा। उनके साथ पत्‍‌नी लक्ष्मी व दो छोटे बच्चे भी थे।

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संसाधनों की कमी के बीच बेहतर सेवा का प्रयास रहता है। शाम साढ़े छह बजे के बाद कोई बस यहां से नहीं है, पर कानपुर, हमीरपुर, बांदा, उन्नाव, लखनऊ कैसरबाग डिपो की बसें देर शाम यहां आती हैं और वापस जाती हैं। इन बसों से गोरखपुर की यात्रा हो सकती है। बसों की संख्या बढ़ने पर रात आठ बजे तक गोरखपुर व देवरिया के लिए बसें चलाई जाएंगी।

विदू प्रसाद , एआरएम


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