सरसों की फसल पर लगी बादलों की नजर
तिलहन की फसल पर बादलों की नजर है। ऐन वक्त कुदृष्टि इस कदर पड़ी कि किसानों के होश उड़ गए हैं। खेत में पककर तैयार तोरिया भी नहीं काट पा रहे हैं। खलिहान में रखी फसलों की मड़ाई भी नहीं हो पा रही है।
कुशीनगर: तिलहन की फसल पर बादलों की नजर है। ऐन वक्त कुदृष्टि इस कदर पड़ी कि किसानों के होश उड़ गए हैं। खेत में पककर तैयार तोरिया भी नहीं काट पा रहे हैं। खलिहान में रखी फसलों की मड़ाई भी नहीं हो पा रही है।
धूप न होने से फसलें सड़ने की कगार पर हैं। दाने अंकुरित भी होने लगे हैं। किसान व्याकुल हैं। चिता में भोजन हलक के नीचे नहीं उतर रहा है। बर्बाद हो रही तिलहन की फसलों को देख किसानों के छाती पर मानों सांप लोट रहे हैं। बेमैासम बारिश से सरसों के फूल बिना फल लगे ही टूटकर गिरने लगे हैं। जिनकी तिलहन की फसलें खलिहान में मड़ाई के लिए रखी गई हैं तथा खेत में पककर कटने के लिए तैयार हैं उनकी भी गारंटी नहीं कि अनाज घर में आ जाए। किसानों के माथे पर चिता की लकीरें साफ दिखने लगी हैं।
-----
उभरा किसानों का दर्द
-अनिरुद्ध सिंह कहते हैं बारिश से सरसों की फसलों को भारी क्षति हुई है। फल लगे बगैर 30 फीसद सरसों के फूल झड़ गए। उत्पादन घटकर आधा हो जाएगा। चिता सोने नहीं दे रही है।
-शाकिर अली कहते हैं शीतलहर की चपेट में आने से फसलें बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। कटाई, मड़ाई में हुई देरी से दाने खेत में झड़ गए हैं तो खलिहान में अंकुरित हो रहे हैं।
-राजेश पाल कहते हैं मौसम की मार से हर फसलें प्रभावित हो रही हैं। कभी सूखा तो कभी बारिश किसानों की कमर तोड़ रही है। फसलों के सुरक्षा की गारंटी नहीं है।
-राममूíत मिश्रा ने बताया कि मौसम अनुकूल न होने से अगेती व पछेती तिलहन की फसलों पर ग्रहण लगा है। फसल बर्बाद होने से उत्पादकों को भी तेल खरीदना पड़ेगा।