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प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश बन रहा विश्वगुरु

भाई की खुशहाली लंबी उम्र व सुख-समृद्धि के लिए बहनों ने निर्जल रुद्रव्रत पीड़िया व्रत रखा। दिन भर उपवास के बाद शाम को भाइयों की संख्या के मुताबिक धान की सोरहिया के साथ प्रसाद ग्रहण किया व रातभर जागकर गीत गाए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Dec 2021 11:31 PM (IST)Updated: Sun, 05 Dec 2021 11:31 PM (IST)
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश बन रहा विश्वगुरु
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश बन रहा विश्वगुरु

कुशीनगर: प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश विश्व गुरु बन रहा है। देश की आंतरिक व बाह्य सुरक्षा मजबूत हुई है तथा भारत आत्मनिर्भर हो गया है। स्वदेशी के नारा ने देश के नागरिकों में एक नई स्फूर्ति जगा दिया है। गांव से लेकर शहर तक विकास की योजनाएं चल रही हैं। प्रदेश से गुंडा-अपराधियों का सफाया हो गया है। इसलिए देश की जनता प्रधानमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री पर पूरा भरोसा कर रही है। विपक्ष के मुद्दा विहीन हो गया है।

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यह बातें पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष व भाजपा नेता जगदीश सिंह ने कही। वह पटहेरिया चौराहा पर लोगों को गोरखपुर में आयोजित प्रधानमंत्री के सभा में शामिल होने के लिए आमंत्रण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कहा कि देश व प्रदेश को ऐसे प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री मिले हैं, जिनके कथनी व करनी में कोई फर्क नहीं है। अब सरकारी नौकरियों में जाति व धन नहीं बल्कि योग्यता पर चल रहा है। कहा कि प्रधानमंत्री ने फर्टिलाइजर व एम्स का शुभारंभ करके यह साबित कर दिया है कि यह सरकार के शिलान्यास नहीं बल्कि लोकार्पण में विश्वास करती है। मंडल अध्यक्ष श्रीनिवास राय, कन्हैया शर्मा, महामंत्री अमलेश तिवारी, संजय राय, अलिउल्लाह खां, शुभकर शुक्ल आदि उपस्थित रहे।

बहनों ने भाइयों की सलामती के लिए रखा निर्जल व्रत

रविवार को भाई की खुशहाली, लंबी उम्र व सुख-समृद्धि के लिए बहनों ने निर्जल रुद्रव्रत पीड़िया व्रत रखा। दिन भर उपवास के बाद शाम को भाइयों की संख्या के मुताबिक धान की सोरहिया के साथ प्रसाद ग्रहण किया व रातभर जागकर गीत गाए। सोमवार को सुबह पीड़िया जलाशयों में विसर्जित होंगे। गोवर्धन पूजा के गोबर से ही दीवारों पर लोक गीतों के माध्यम से पीड़िया लगाई जाती है। लड़कियां अन्नकूट से कार्तिक चतुर्दशी तक छोटी कहानी व कार्तिक पूर्णिमा से अगहन अमावस्या बड़ी कहानी सुनती है। पूरे एक माह तक संझा-पराती गाती हैं व सुबह शाम युवतियां व महिलाएं पीड़िया वाली जगह पर जुट कर कथा सुनती हैं तथा पारंपरिक गीत गाती हैं। रविवार को भोर में बहनों ने गीत संगीत के बीच पीड़िया छुड़ाया। दिन भर उपवास रखा। शाम को व्रत तोड़ा व छुड़ाए गए पीड़िया को कलश में रखकर पूजन किया। रात भर ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से लोकगीत गाए। सोमवार को पीड़िया विसर्जन के साथ भाइयों की सलामती के लिए एक माह तक चलने वाले त्योहार का समापन होगा।


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