संवर गए छठ घाट, आज डूबते सूर्य को अर्घ्य देगीं व्रती महिलाएं
पांच दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व का उत्साह चरम पर पहुंच गया है।
कुशीनगर : पांच दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व का उत्साह चरम पर पहुंच गया है। सोमवार को महिलाओं ने जहां छोटी छठ का व्रत रखा वहीं पुरुष छठ घाटों की सफाई व श्री शोभिताओं को चमकाने में व्यस्त रहे। मंगलवार की शाम इन घाटों पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए आस्था का सैलाब उमड़ेगा। दिवाली के बाद से ही छठ महापर्व के लिए शुरु हुए तैयारियों पर अब विराम लग गया है। व्रत के लिए तैयारी, खरीदारी व घाटों की साफ सफाई संपन्न होने के बाद पर्व का मुख्य दौर शुरु हो चुका है। तहसील क्षेत्र के विभिन्न घाट चमचमा रहे हैं और विद्युत के प्रकाश की व्यवस्था हो चुकी है। घाटों के इर्द-गिर्द दुकानें सज गई हैं माहौल मेले जैसा हो गया है।
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अमृता पांडेय ने बताया कि बचपन से ही इस व्रत के प्रति अगाध श्रद्धा रही। विवाह के पश्चात पुत्र रत्न की प्राप्ति पर पहली बार व्रत हूं। यह अनुभूति काफी सुखद है।
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अनीता मिश्र ने कहा कि यह व्रत एकमात्र प्रत्यक्ष देवता सूर्य के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का अवसर है। उनकी ऊर्जा के माध्यम से प्रकृति से प्राप्त हर संभव वस्तु के माध्यम से उनकी अर्चना कर सौभाग्य की आकांक्षा की जाती है।
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सुनीता ¨सह ने कहा कि मनोकामना को शीघ्र पूरा करने वाले इस त्योहार का महत्व तब और बढ़ जाता है जब व्रती महिलाएं डूबते सूर्य की भी उपासना करती हैं। उगते सूर्य की तो सभी उपासना करते हैं, लेकिन यह सनातन धर्म का एकमात्र अवसर होता है जब डूबते सूर्य को महत्व दिया जाता है।
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मंजू गौतम ने कहा कि मायके में इस व्रत के बारे में बस सुनती थी। बिहार से जुड़ी कुछ महिलाएं व्रत रहती थीं। ससुराल आई तो व्रत के महात्म्य को करीब से देखा। श्रद्धा बढ़ी और व्रत करने का अवसर प्राप्त हुआ तो आत्मिक सुख मिला।