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बारिश व जलजमाव से सूख रहा गन्ना, किसान चितित

कुशीनगर में इस बार का बरसात का मौसम काफी परेशानी लेकर आया है खेत में पानी भरने से गन्ने की खड़ी फसल सूख जा रही है किसानों की पूंजी डूब गई है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 01:12 AM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 01:12 AM (IST)
बारिश व जलजमाव से सूख रहा गन्ना, किसान चितित
बारिश व जलजमाव से सूख रहा गन्ना, किसान चितित

कुशीनगर : जलजमाव व उकठा रोग से गन्ने की फसल सूखने से किसान चितित हैं। कोरोना की महामारी से तंगहाल किसान अब सूख रही गन्ने की फसल को देखकर परेशान हैं।

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क्षेत्र के लोहेपार, फरदहां मुड़िला हरपुर, गौनरिया सहित दर्जनों गांवों में गन्ने की फसल तेजी से सूख रही है। गन्ने की फसल के भरोसे बिटिया की शादी, बच्चों की शिक्षा, इलाज आदि की तैयारी में रहे किसान इस आपदा से मुश्किल में आ गए हैं। सिरसिया के किसान नवरंग सिंह, मथौली निवासी परवीन बगाड़िया, लोहेपार के रामसनेही राव, अवलाद मिर्जा आदि किसानों ने कहा कि सूख रही फसल को बचाने के लिए वे सभी जरूरी कदम उठा चुके पर कोई राहत मिलती नहीं दिख रही। मुश्किल इस समय में कृषि विभाग व प्रशासन मूकदर्शक की भूमिका में है। बीते साल अधिक बरसात से गन्ना की फसल बरबाद हो गई। जिसका मुआवजा आज तक नहीं मिला। किसानों ने सूख रही गन्ने की फसल का सर्वे कराकर सहायता राशि दिए जाने की मांग की है।

दूषित पानी पीने के लिए मजबूर हैं ग्रामीण

दुदही विकास खंड के गांव रकबा दुलमा पट्टी के भलुही टोला के ग्रामीण शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं। लगभग दस हजार की आबादी वाले इस गांव में इस टोले की आबादी ढाई सौ से अधिक है। यहां एक प्राथमिक विद्यालय भी है। यहां का इंडिया मार्क हैंडपंप पिछले एक वर्ष से खराब है। इसकी वजह से दूषित पानी पीना मजबूरी है।

शुद्ध पेयजल योजना से वंचित टोले में सिर्फ पांच इंडिया मार्का हैंडपंप लगे हैं, जो सभी खराब हो चुके हैं। इससे यहां के लोग प्रतिबंधित छोटे नल से पानी पीने के लिए विवश हैं। अजय पांडेय कहते हैं कि रीबोर के लिए गत चार माह से लिखित और मौखिक शिकायत की गई, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। अमित कुमार कहते हैं कि दूषित पानी पीने के कारण गांव में हर वर्ष संक्रामक बीमारियों का प्रकोप जारी रहता है। विनय शर्मा कहते हैं कि प्राथमिक विद्यालय में लगभग दो सौ बच्चे पढ़ते हैं जिन्हें मिड डे मील योजना से दोपहर का भोजन मुहैया कराया जाता है, लेकिन पानी की व्यवस्था न होना, सरकारी योजनाओं पर पानी फेर रहा है। धीरेंद्र विक्रम कहते हैं कि इस गांव में भी अन्य गांवों की तरह पानी की टंकी का निर्माण होना चाहिए। डीपीआरओ अभय कुमार यादव ने बताया कि इसके बारे में पता करवा रहा हूं। पंप ठीक कराए जाएंगे।


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