सूख रही गन्ने की फसल, किसान असहाय
गन्ना किसान प्रकृति की दोहरी मार झेलने को मजबूर हैं। कोरोना संक्रमण की वजह से पहले बोआई प्रभावित हो गई अब अधिक बारिश ने उनकी पूंजी डुबो दी है। खेतों में जल जमाव से धान तो बर्बाद हो ही गया गन्ने की फसल सूखने लगी है। खेतों में जलभराव की वजह से रेडराट रोग लग गया है।
कुशीनगर: गन्ना किसान प्रकृति की दोहरी मार झेलने को मजबूर हैं। कोरोना संक्रमण की वजह से पहले बोआई प्रभावित हो गई, अब अधिक बारिश ने उनकी पूंजी डुबो दी है। खेतों में जल जमाव से धान तो बर्बाद हो ही गया, गन्ने की फसल सूखने लगी है। खेतों में जलभराव की वजह से रेडराट रोग लग गया है।
गन्ना विभाग के आंकड़ों के अनुसार रामकोला परिक्षेत्र में तीन लाख हेक्टेयर गन्ना सूखने की स्थिति में है। इसकी अनुमानित कीमत लगभग 35 करोड़ बताई जा रही है। अशोक पांडेय, अनिल सिंह, देवेश मिश्र, राकेश गोविद राव, शैलेंद्र मिश्रा आदि किसानों का कहना है कि सभी चीनी मिलें 0238 और 0236 प्रजाति की बोआई पर ही ज्यादा जोर देती हैं। इन प्रजातियों का उत्पादन तो अधिक है, लेकिन लो लैंड में यह सफल नहीं हैं। विलंब से पकने वाली प्रजाति कोसे 8452, कोसा 8272, कोसा 11453 उपलब्ध थीं, लेकिन जिम्मेदारों ने बोआई के समय किसानों को उपलब्ध नहीं कराया। नतीजा यह हुआ कि इस साल बारिश अधिक हो गई और कुस्मही, चंदरपुर, सेखुई मिश्र, इंद्रसेनवा, मांडेयराय, अमडरिया, पपउर, बिहुली सोमाली, बिहुली निस्फी, सिहुलिया मठिया, घूरछपरा, भठही समेत तमाम गांवों में गन्ने की फसल सूख रही है।
खोट्ठा बाजार के संजय कुमार पांडेय, विजय कुमार पांडेय, द्विजेश मणि, बृज नारायण सिंह आदि किसानों का कहना है कि अतिवृष्टि के कारण खेतों में पानी भर गया है। विकास खंड मोतीचक के सिरसिया गांव के नौरंग सिंह का दो एकड़, लोहेपार के रामसनेही राव का एक एकड़, औलाद मिर्जा का एक एकड़, हजरत समेत अधिकांश किसानों के खेतों में पानी लगने से गन्ना सूख रहा है। उनका कहना है कि प्रशासन सर्वे कराकर किसानों को मुआवजा दिलाने की व्यवस्था करे।