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सड़क पर रफ्तार की होड़ व यातायात नियमों की अनदेखी से जा रही जान

आरटीओ विभाग ने कागज में तो ब्लैक स्पाट 10 चिह्नित किए हैं लेकिन सुधार की दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाए गए। वहां संकेतक तक नहीं लगाए जा सके हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 12:15 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 12:15 AM (IST)
सड़क पर रफ्तार की होड़ व यातायात नियमों की अनदेखी से  जा रही जान
सड़क पर रफ्तार की होड़ व यातायात नियमों की अनदेखी से जा रही जान

कुशीनगर: हाईवे पर होने वाली दुर्घटनाओं में लगातार इजाफे के बाद भी सतर्कता के उपाय नाकाफी दिख रहे हैं। खटारा बसें और वाहनों की अनियंत्रित गति भारी पड़ रही है। इसके अलावा यातायात नियमों की अनदेखी भी वजह है। यह स्थिति लगातार चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के बाद की है। यातायात नियमों को लेकर बेपरवाही में आए दिन दुर्घटनाएं हो रहीं हैं। आरटीओ विभाग ने कागज में तो ब्लैक स्पाट 10 चिह्नित किए हैं, लेकिन सुधार की दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाए गए। वहां संकेतक तक नहीं लगाए जा सके हैं। दो या चार पहिया वाहनों के फिटनेस को लेकर न एआरटीओ विभाग गंभीर है और न ही कोई जांच कराना चाहता है। सड़क हादसों के अधिकतर मामलों में यह बात सामने आई है कि वाहन चालक या तो तेज रफ्तार में रहा अथवा चालक नशे में रहा है। इसका अंदाजा सोमवार को हाटा बस स्टेशन के समीप हुई ट्रक हादसे से लगाया जा सकता है। तेज गति से जा रही कार के चालक के अचानक ब्रेक लेने के कारण पीछे चल रहा ट्रक पीछे से टकरा गया। ट्रक चालक गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे किसी तरह बाहर निकाला गया। जुगाड़ की गाड़ियां बनीं खतरनाक

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ग्रामीण व नगरीय क्षेत्र में ट्रैक्टर-ट्राली व जुगाड़ की गाड़ियां भी दुर्घटना का कारण बन रहीं हैं। जुगाड़ की गाड़ी से भवन निर्माण की सामग्री पहुंचाई जा रही है। इस पर न पीछे लाइट होती है और न आगे की ओर। ऐसे में दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। बदहाल सड़कें बन रहीं दुर्घटनाओं का कारण

नगरीय अथवा ग्रामीण इलाकों की बदहाल सड़कें भी लगातार बढ़ रही दुर्घटनाओं का कारण साबित हो रहीं हैं। कसया-पडरौना हाईवे व फोरलेन पर कई स्थानों पर सड़क पर गड्ढे हैं, जो दो व चार पहिया वाहनों के लिए खतरनाक साबित होते हैं। यहां नहीं है ट्रैफिक सिग्नल

कुशीनगर में कहीं भी ट्रैफिक सिगनल नहीं लगा है। यहां यातायात व्यवस्था जैसे-तैसे चल रहा है। गलत पार्किंग से भी होती हैं दुर्घटनाएं

सड़कों के किनारे गलत ढंग से पार्किंग वाहनों के चलते भी सड़क हादसे होते हैं। एक सप्ताह में 20 से अधिक मार्ग दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसमें छह की मौत हुई है। 14 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। चार दुर्घटनाएं कोहरे के कारण ट्रकों के टकराने से हुई हैं। सड़क सुरक्षा के लिए काम नहीं करती संस्थाएं

सड़क सुरक्षा को लेकर भले ही पुलिस व एआरटीओ विभाग अभियान चलाता हो, लेकिन स्वयंसेवी संगठनों ने कभी इसको लेकर पहल नहीं की। इसे लेकर नागरिकों ने भी विचार रखे। राहुल प्रताप नारायण सिंह कहते हैं कि यातायात नियमों के पालन करने से हम अपने व दूसरे के परिवार की सुरक्षा कर सकते हैं। इसलिए सभी को चाहिए कि नियमों का पालन करें और दूसरों को भी जागरूक करें। गुलाब साह का कहना है कि वाहन चलाते समय नशे का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए, क्योंकि नशे की हालत में हम सोचने व समझने की क्षमता खो देते हैं, लिहाजा दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं। विक्कू जायसवाल कहते हैं कि बढ़ते हादसों को रोकने को लेकर सभी को स्वयं जागरूक होना होगा और अगल-बगल के लोगों को भी नियमों के पालन करने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है। बिना इसके दुर्घटनाओं में कमी नहीं आएगी। मोहन गुप्ता का कहना है कि वाहन सीमित गति से चलाने से दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है। इसके लिए जागरूक होने की जरूरत है। साथ ही सड़कों की बदहाली दूर करनी होगी।

एआरटीओ संदीप कुमार पंकज कहते हैं कि तेज रफ्तार की वजह से मार्ग दुर्घटनाओं की संख्या में इजाफा हो रहा है। इसे नियंत्रित करने के लिए खासकर युवाओं को पहल करनी होगी। सभी लोग सुरक्षा को लेकर सतर्क हो जाएं, तो दुर्घटनाओं से बचा जा सकेगा। विभाग फिटनेस, जुगाड़ की गाड़ी व अवैध रूप से चल रहे वाहनों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई कर रहा है।


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