किचन किग बने पुरुष, महिलाओं का काम हल्का
देशदीपक ने कहा पापा चाय नहीं बना पाएंगे तो संजय ने कहा कि देखो तुम लोगों को मम्मी से बढि़या चाय पिलाता हूं।
कुशीनगर: घर गृहस्थी में पुरुष समाज का बड़ा योगदान है, लेकिन व्यस्तता के कारण पुरुष को यह अवसर विरले ही मिलता है। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए शुरू हुए लाकडाउन ने पति, पत्नी, मां, पिता, बच्चों को एक साथ रहने व एक-दूसरे के सुख-दुख को करीब से महसूस करने का अवसर दिया है। पुरुष किचन संभालने, बच्चों को नहलाने, पढ़ाने, उनके साथ खेलने में लगा है। गांधी नगर में सेंट्रल बैंक रोड निवासी शिक्षक संजय शर्मा की पत्नी लीना शर्मा बेटे देशदीपक, आर्या व जान्ह्वी को बैठाकर पढ़ा रही थीं और कहानी सुना रही थीं। पास बैठे संजय ने कहा कि आज मैं चाय बनाकर सभी को पिलाऊंगा तो बच्चे हंसने लगे। जान्ह्वी ने कहा पापा आप तो कभी बनाते नहीं, मम्मी रोज चाय पिलाती हैं। देशदीपक ने कहा पापा चाय नहीं बना पाएंगे तो संजय ने कहा कि देखो तुम लोगों को मम्मी से बढि़या चाय पिलाता हूं। यह सुन सभी इंतजार करने लगे। थोड़ी देर में चाय बना तो सभी ने पापा को सराहा।
तुलसी कालोनी निवासी केशर त्रिपाठी कहते हैं लाकडाउन में पत्नी व बच्चों के साथ रहने का अवसर मिल रहा है। भागमभाग जिदगी में इस तरह का अवसर आज तक नहीं मिल सका था। विद्यार्थी जीवन में छात्रावास में चाय बनाना, भोजन बनाना, खुद का कपड़ा धुलना दिनचर्या में शामिल था। लाकडाउन में पूरे दिन आराम करने से शरीर में जकड़न न हो। इसका बेहतर विकल्प घर गृहस्थी के कार्यों में मन लगाना है। कहते हैं इसी बहाने किचन में जाने का मौका मिल रहा है। कहा पति-पत्नी व परिजनों में निश्चित ही सहयोग की भावना होनी चाहिए। लाकडाउन से पत्नी को कुछ आराम मिलेगा और विद्यार्थी जीवन की छूट चुकी पुरानी आदतों को कार्य व्यवहार में लाने का मौका मिलेगा। केशर कहते हैं शनिवार को दोपहर में प्रगति व प्रकृति अपनी मां पुष्पलता त्रिपाठी के हाथों में मेहंदी रच रही थी। चाय बनाने की बात आई तो बिना संकोच के चाय बनाने किचन में घुस गया। चाय बनाया तो बेटियों ने कहा वाह, पापा ने तो आज कमाल कर दिया। पापा के हाथ चाय पीने का अच्छा अवसर मिला गया। टेस्ट भी लाजवाब।