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क्रास वोटिंग मामलाः राष्ट्रीय लोकदल पर विश्वसनीयता का संकट फिर से गहराया

राज्यसभा चुनाव में पार्टी दिशा-निर्देश के विपरीत जाने को लेकर राष्ट्रीय लोक दल विधायक पर कार्रवाई के लिए कोर्ट जाएगी। इससे पार्टी पर विश्वसनीयता का संकट गहरा गया है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 25 Mar 2018 07:38 PM (IST)Updated: Mon, 26 Mar 2018 07:18 AM (IST)
क्रास वोटिंग मामलाः राष्ट्रीय लोकदल पर विश्वसनीयता का संकट फिर से गहराया
क्रास वोटिंग मामलाः राष्ट्रीय लोकदल पर विश्वसनीयता का संकट फिर से गहराया

लखनऊ (जेएनएन)। राष्ट्रीय लोकदल पर विश्वसनीयता का संकट फिर से गहराया है। राज्यसभा उपचुनाव में पार्टी के इकलौते विधायक के क्रास वोटिंग के घेरे में आने से साख पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं कार्रवाई को लेकर संगठन में विरोध शुरू हो गया। राष्ट्रीय लोक दल के प्रदेश प्रवक्ता अंशुमान सिंह ने कुशीनगर में कहा कि राज्यसभा चुनाव में पार्टी द्वारा जारी दिशा-निर्देश के विपरीत कदम उठाया जाना गलत है। गलत कदम उठाने वाले पार्टी के विधायक के खिलाफ कार्रवाई के लिए रालोद निर्वाचन आयोग जाएगा। अगर न्याय नहीं मिला तो पार्टी न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी। उल्लेखनीय है कि क्रास वोटिंग के आरोपी विधायक सहेंद्र सिंह को रालोद ने भले ही बाहर किया हो परंतु उनकी विधानसभा सदस्यता पर खतरा नहीं दिखता। इकलौते विधायक होने का लाभ सहेंद्र को मिलेगा।

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पार्टी की ओर से कोई निर्देश नहीं 

इस बीच सहेंद्र का कहना है कि उन्हें पार्टी की ओर से कोई निर्देश नहीं दिए गए थे। विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित का कहना है कि इस बारे में कोई शिकायत नहीं मिली है। इस बीच आज जारी विज्ञप्ति में प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सभा चुनाव में सत्ताधारी पार्टी भाजपा द्वारा धनबल-बहुबल का प्रयोग कर जितने का कार्य किया है। भाजपा ने लोकतंत्र की हत्या कर जीत दर्ज करने का कार्य किया है। कहा कि रालोद विधायक ने पार्टी द्वारा जारी दिशा-निर्देश के विपरीत कार्य किया है। इनकी सदस्यता समाप्त करने की मांग को लेकर रालोद जल्द ही निर्वाचन आयोग में शिकायत करेगा। 

कार्यकर्ताओं में ऊहापोह 

एक पूर्व विधायक ने रालोद अध्यक्ष अजित सिंह को लिखे पत्र में आरोप लगाया कि केंद्रीय स्तर से नीति स्पष्ट नहीं होने से आम कार्यकर्ताओं में भी ऊहापोह के हालात हैं। आये दिन होने वाले नए गठबंधनों से पार्टी की साख खत्म हो रही है। गत विधानसभा चुनाव से पहले सपा के मंच पर आकर पार्टी अध्यक्ष अजित सिंह द्वारा गठबंधन पर सहमति जताने के बाद भी समाजवादी पार्टी-कांग्रेस के गठजोड़ में रालोद को शामिल नहीं करने से काफी किरकिरी हुई थी। मजबूरन पार्टी को आधी अधूरी तैयारी के साथ अकेले चुनाव लडऩा पड़ा और रालोद एक सीट पर सिमट गया। 

बसपाइयों के तेवर तल्ख 

क्रास वोटिंग को लेकर बहुजन समाज पार्टी में एक खेमा रालोद से गठबंधन का खुल कर विरोध कर रहा है। बिजनौर के वरिष्ठ नेता सगीर खां का आरोप है कि रालोद को साथ लेने से पश्चिमी उप्र में भी अधिक लाभ न होगा। मुजफ्फरनगर दंगे का दंश अभी कम नहीं हो सका है। भाजपा के पक्ष में क्रास वोटिंग ने पुराने जख्म ताजा कर दिए। रालोद कब किसके पक्ष में खड़ा दिखे, इस पर भरोसा मुमकिन नहीं है।क्रास वोटिंग के आरोपी विधायक सहेंद्र सिंह को अपने विधानसभा क्षेत्र छपरौली में विरोध बावजूद समर्थन भी मिल रहा है। बागपत के पूर्व जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंह का कहना है कि विधायक ने उचित समय पर सही फैसला लिया है। बसपा और सपा का चुनाव तक एक साथ बने रह पाना आसान नहीं। सीट बंटवारे पर एकराय मुमकिन नहीं होगी। 


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