थाईलैंड की राजकुमारी कुशीनगर के बुद्धस्थली से रवाना, शनिवार को किया था तथागत का दर्शन
महात्मा बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर के तीन दिन के प्रवास के बाद थाईलैंड की राजकुमारी चुलबोर्न अपने वतन रवाना हो गईं।
कुशीनगर, जेएनएन। भगवान महात्मा बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर के तीन दिन के प्रवास के बाद थाईलैंड की राजकुमारी चुलबोर्न अपने वतन रवाना हो गईं। वह तीन दिवसीय धार्मिक यात्रा के बाद रविवार को थाईलैंड लौटेंगी। राजकुमारी सड़क मार्ग से गोरखपुर एयरपोर्ट पहुंचीं और यहां से दिल्ली होते हुए बैंकाक जाएंगी।
कुशीनगर में तथागत की परिनिर्वाण स्थली की धार्मिक यात्रा पर आईं थाई राजकुमारी चुलबोर्न रविवार को बुद्धस्थली की माटी माथे लगाकर अपने वतन रवाना हो गईं। वह यहां शुक्रवार की शाम पहुंचीं। शनिवार को पूरा दिन पूजन-वंदन किया। रविवार को 11 बजे कुशीनगर के थाई मोनास्ट्री में धर्म गुरु पी. डॉ. दमवोधिवोंग ने उनको थाई रीति-रिवाज से पूजन कराया और उनके दीर्घायु के लिए भगवान बुद्ध से प्रार्थना करते हुए उन्हें विदाई दी। इस दौरान थाईलैंड से आए भारतीय अप्रवासी, थाई नागरिक व वहां के लोक कलाकारों ने मंदिर के सामने मार्ग के दोनों किनारे कतारबद्ध होकर भावभिनी विदाई दी। राजकुमारी सड़क मार्ग से गोरखपुर जाएंगी। वहां से थाईलैंड के विशेष विमान से बैंकाक के लिए प्रस्थान करेंगी।
राजकुमारी ने बुद्ध से मांगी इंडो-थाई की खुशहाली
थाईलैंड की राजकुमारी चुलबोर्न ने शनिवार को कुशीनगर स्थित महापरिनिर्वाण बुद्ध मंदिर में विशेष पूजा की। कुशीनगर स्थित पांचवीं सदी की बुद्ध की शयनमुद्रा प्रतिमा के समक्ष पहुंचते ही राजकुमारी भावविभोर हो उठीं। दोनों हाथ जोड़ कर वह कुछ समय तक प्रतिमा के समक्ष नतमस्तक रहीं। उन्होंने प्रतिमा पर थाई राजपरिवार की ओर से खास चीवर ओढ़ाकर भारत व थाईलैंड की उन्नति, शांति व खुशहाली की कामना की। निर्धारित कार्यक्रम के तहत सुबह लगभग 7.20 बजे राजकुमारी चुलबोर्न काफिले के साथ महापरिनिर्वाण मंदिर पहुंचीं। कुशीनगर भिक्षु संघ व उप्र पर्यटन विभाग की ओर से उनका स्वागत किया गया। इसके बाद उन्हें मंदिर में ले जाया गया। जहां थाई बौद्ध भिक्षुओं ने बुद्ध वंदना के पश्चात चीवर चढ़ाया। बौद्ध भिक्षुओं ने राजकुमारी को बुद्ध प्रतिमा की खूबियां बताईं। तीन अलग-अलग कोणों से शयन, चिंतन व मुस्कुराती मुद्रा में नजर आने वाली प्रतिमा की खूबियों को राजकुमारी ने शिद्दत से महसूस किया। मंदिर से उनका काफिला थाई क्लीनिक पहुंचा, जहां औपचारिक स्वागत के बाद उन्हें क्लीनिक की गतिविधियों की जानकारी दी गई। यहां से वह बुद्ध के अंतिम संस्कार स्थल मुकुटबंधन चैत्य (रामाभार स्तूप) पहुंचीं। स्तूप पर विशेष पूजा के बाद राजकुमारी को पुन: थाई मोनास्ट्री ले जाया गया।
राजकुमारी ने कहा-बहुत सुंदर है कुशीनगर
कुशीनगर के कसया में विशेष पूजा के बाद राजकुमारी बोलीं, यहां आकर बहुत प्रसन्नता महसूस कर रही हूं। कुशीनगर बहुत ही सुंदर जगह है। यह संपूर्ण विश्व के बौद्धों का महातीर्थ है। यहां की धरती में विशेष ऊर्जा है। यही कारण है कि बुद्ध ने 2500 वर्ष पूर्व अपने निर्वाण के लिए कुशीनगर का चयन किया था। राजकुमारी भारतीय थाई परंपरा से स्वागत से अभिभूत दिखीं।