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राष्ट्रीय वन नीति के हिसाब से कम वन क्षेत्रफल चितनीय : डीएफओ

वन पशु पक्षी व मानव सबके लिए महत्वपूर्ण है। वनों से हमें अनेक जीवनोपयोगी वस्तुएं प्राप्त होती हैं। राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार देश के 33.3 फीसद भू-भाग पर वन होना चाहिए लेकिन वर्तमान में लगभग 19.39 भू-भाग पर ही वन है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Mar 2019 11:11 PM (IST)Updated: Fri, 22 Mar 2019 11:11 PM (IST)
राष्ट्रीय वन नीति के हिसाब से कम वन क्षेत्रफल चितनीय : डीएफओ
राष्ट्रीय वन नीति के हिसाब से कम वन क्षेत्रफल चितनीय : डीएफओ

कुशीनगर : वन पशु, पक्षी व मानव सबके लिए महत्वपूर्ण है। वनों से हमें अनेक जीवनोपयोगी वस्तुएं प्राप्त होती हैं। राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार देश के 33.3 फीसद भू-भाग पर वन होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में लगभग 19.39 भू-भाग पर ही वन है। इससे अनेक पर्यावरण संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं। इनके समाधान का एकमात्र उपाय अधिकाधिक पौधरोपण करना है। यह बातें डीएफओ बीसी ब्रह्मा ने कही। वे बुधवार की देरशाम विश्व वन दिवस की पूर्व संध्या पर सामाजिक वानिकी वन प्रभाग कुशीनगर स्थित रेंज कार्यालय में आयोजित संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। कहा कि राष्ट्रीय वन नीति के हिसाब से वनों का न होना चिता का विषय है। इसके लिए हर व्यक्ति को पौधरोपण करना होगा तो पौधों की देखरेख भी करनी होगी। क्षेत्रीय वन अधिकारी अमरजीत प्रसाद ने विश्व वन दिवस के आयोजन के अस्तित्व पर प्रकाश डाला। कहा कि यूरोपीय कृषि परिसंघ द्वारा पहली बार 1971 में विश्व वन दिवस का आयोजन किया गया था। संचालन करते डिप्टी रेंजर दिनेश्वर लाल श्रीवास्तव ने कहा कि वन देश की राष्ट्रीय निधि है, इनका संरक्षण करना हमारा नैतिक दायित्व है। इस अवसर पर गनेश चंद्र भारती, इंद्रजीत पटेल, रामधनी, पारसनाथ, नंद राव, भगवान राम, संतोष कुमार, निजामुद्दीन अंसारी, राम भुवन प्रसाद आदि उपस्थित रहे।

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