500 से अधिक सूचनाएं, एक दर्जन अफसरों पर अर्थ दंड
सूचना के अधिकार के असल मायने को समझना हो तो कुशीनगर जिले के कप्तानगंज निवासी विपुल खेतान से जरूर मीलिए। इन्होंने जनहित के विषयों को लेकर वर्ष 2011 से अब तक 500 से अधिक सूचनाएं मांगीं। जनहित में सूचना अधिकार को हथियार बनाने की ही देन है कि कस्बे के जर्जर तार व पोल बदले गए।
कुशीनगर: सूचना के अधिकार के असल मायने को समझना हो तो कुशीनगर जिले के कप्तानगंज निवासी विपुल खेतान से जरूर मीलिए। इन्होंने जनहित के विषयों को लेकर वर्ष 2011 से अब तक 500 से अधिक सूचनाएं मांगीं। जनहित में सूचना अधिकार को हथियार बनाने की ही देन है कि कस्बे के जर्जर तार व पोल बदले गए। स्वच्छता की अलख भी जगी, नालियों की सफाई हुई तो नई नालियों का निर्माण भी हुआ। बकौल विपुल खेतान जब अधिकारियों ने जनहित के मुद्दे को लेकर रुचि नहीं दिखाई तो जन सूचना अधिकार की राह पकड़ी। इस पर अधिकारियों ने हीलाहवाली की तो प्रदेश की राजधानी तक जन सूचना अधिकार के तहत दस्तक दी। ऐसे में एक दर्जन से अधिक जिला स्तरीय अधिकारियों पर जुर्माना तक लगा। अभी बहुत सारे मामले हैं, जिसको लेकर अभी मेरी जंग जारी है। जब तक न्याय नहीं मिल जाता यह सफर जारी रहेगा। कुछ मामलों में अधिकारियों को इस हथियार के चलते जनहित में कदम उठाने भी पड़े और आमजन को राहत मिली।
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इन पर लग चुका है अर्थ दंड
- तत्कालीन जिलाधिकारी रिग्जियान सैंफिल, जिला पूर्ति अधिकारी, अधिशासी अभियंता विद्युत, एसडीएम कप्तानगंज, एसडीएम हाटा, तहसीलदार हाटा, अधिशासी अधिकारी कप्तानगंज आदि।