Kushinagar News: पंचतत्व में विलीन हुए ज्ञानेश्वर, अंतिम संस्कार में उमड़ी भीड़
कुशीनगर में भिक्षु संघ के अध्यक्ष एबी ज्ञानेश्वर का बौद्ध रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया। म्यांमार बुद्ध मंदिर परिसर में हुए इस अंतिम संस्कार में उनके उत्तराधिकारी भंते नंदका ने मुखाग्नि दी। उनका निधन 31 अक्टूबर को हुआ था। शव यात्रा म्यांमार बुद्ध मंदिर से शुरू होकर विभिन्न मार्गों से गुजरी, जहाँ लोगों ने पुष्प वर्षा कर श्रद्धांजलि अर्पित की। 12 नवंबर को बुद्ध पीजी कॉलेज में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा।

कड़ी सुरक्षा के बीच निकाली गई अंतिम यात्रा तो उमड़ी भीड़
संवाद सूत्र, बुद्धनगरी। कुशीनगर भिक्षु संघ के अध्यक्ष एबी ज्ञानेश्वर का मंगलवार को म्यांमार बुद्ध मंदिर परिसर में अंतिम संस्कार बौद्ध रीति- रिवाज से हुआ। पंचतत्व में विलीन हो गए। मुखाग्नि उनके उत्तराधिकारी भंते नंदका ने दी। उनका निधन 31 अक्टूबर को हुआ था। उनका पार्थिव म्यांमार मंदिर में दर्शनार्थ रखा गया था।
अंतिम संस्कार के पूर्व भंते सागरा ने उनका जीवन परिचय प्रस्तुत करते हुए बताया कि जन्म 10 नवंबर 1936 को म्यांमार में हुआ था। 1963 में कुशीनगर आए। गुरु भिक्षु चंद्रमणि के 1972 में निर्वाण के बाद म्यांमार मंदिर के चीफ बने। उन्हें 1977 में भारतीय नागरिकता मिली।
सुबह 10 बजे से म्यांमार बुद्ध मंदिर से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच उनकी शव यात्रा निकाली गई। यह महापरिनिर्वाण बुद्ध मंदिर की परिक्रमा के बाद बुद्ध द्वार होते हुए कसया के गांधी चौक, दीवानी कचहरी, रामाभार स्तूप होते म्यांमार मंदिर परिसर में अंत्येष्टि स्थल पर पहुंची, जहां उनका बौद्ध रीति-रिवाज से दाह संस्कार हुआ। इस दौरान शोक धुन से बुद्ध स्थली गूंज उठी।
इस दौरान जगह-जगह पुष्प वर्षा कर लोगों ने श्रद्धांजलि दी। आभार ज्ञापन भिक्षु डा. नंदरतन ने किया। 12 नवंबर बुधवार को बुद्ध पीजी कालेज में श्रद्धांजलि सभा व रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया है। म्यांमार के राजदूत उ जाव ऊ, भारत-नेपाल के धम्मदूत डा. वीरायुद्धो, भंते नंदा, डा. निगम मौर्य, पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, पूर्व मंत्री राधेश्याम सिंह, सांसद बाबू सिंह कुशवाहा, विधायक पीएन पाठक, पूर्व सांसद संघमित्रा, पूर्व विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी, अंतरराष्ट्रीय पहलवान रामाश्रय यादव, शिवकन्या कुशवाहा, इलियास अंसारी, राजेश प्रताप राव बंटी, दिनेश यादव सहित भारत सहित म्यांमार, थाईलैंड, कोरिया, कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल, वियतनाम आदि के बौद्ध भिक्षु, भिक्षुणी, उपासक व उपासिकाएं आदि मौजूद रहे।

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