गन्ने की फसल से कुशीनगर को मिला 1086 करोड़
पूर्वी उप्र में सबसे अधिक गन्ना उत्पादन कुशीनगर में होता है।
कुशीनगर : पूर्वी उप्र में सबसे अधिक गन्ना उत्पादन कुशीनगर में होता है। गांव और किसानों के विकास में गन्ना फसल की अहम भूमिका है। गन्ना सत्र 2017-18 में इस नकदी फसल ने जिले को 1086 करोड़ रुपये दिया है। यह बातें गन्ना किसान संस्थान प्रशिक्षण केंद्र गोरखपुर के सहायक निदेशक ओमप्रकाश गुप्त ने कसया गन्ना समिति परिक्षेत्र के गांव पिपराझाम में शनिवार को आयोजित गन्ना विकास गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। कहा कि इस समय किसानों को फसल की ¨सचाई करनी चाहिए।जितना ज्यादा खाद से फायदा नहीं होगा, उससे अधिक लाभ ¨सचाई से होगा। फसल को 150 से 175 सेमी पानी की आवश्यकता होती है। आधा पानी वर्षा से प्राप्त होगा तो शेष ¨सचाई आवश्यकतानुसार करनी होगी। एक किसान ने गन्ना प्रजाति 0238 में ऊपर की पत्तियां गोल होकर सूखने की समस्या रखी तो गुप्त ने बताया कि अधिक गर्मी के कारण थ्रीप्स कीट लग गया है। वर्षात का मौसम समाप्त होते ही यह भी समाप्त हो जाएगा। कहा कि कोसे 8452, 11453, कोसा 8279, 8272 अधिक लाभ वाली प्रजातियां हैं, पर 80 फीसद क्षेत्रफल में इनका बोया जाना अशुभ का संकेत है। सेवरहीं गन्ना शोध केंद्र के कीट वैज्ञानिक डा. विनय कुमार मिश्र ने कहा कि वर्षा शुरू होते ही फसल में हाईड्रोकोकार्ड कीटनाशक का प्रयोग लाभदायक होता है। किसान विनय कुमार तिवारी ने करोजन से लाभ जानकारी चाही तो डा. मिश्र ने बताया कि यह कीटनाशक है। इससे न तो गन्ना बढ़ता है और न ही मोटा होता है। इस अवसर पर हरेंद्र ¨सह, रामनरेश प्रजापति, महेंद्र ¨सह, घनश्याम ¨सह, विजयी रावत, भोज प्रजापति आदि किसान उपस्थित रहे।