कोल्ड डायरिया व निमोनिया की चपेट आने लगे मासूम
नौनिहालों पर निमोनिया व विटर डायरिया का खतरा बढ़ गया है।
कुशीनगर : शुक्रवार की सुबह पछुआ हवा के साथ हुई बारिश ने मौसम का मिजाज बदल दिया है। अचानक गलन बढ़ गई है। नौनिहालों पर निमोनिया व विटर डायरिया का खतरा बढ़ गया है। शुक्रवार को सीएचसी, नर्सिंगहोम एवं निजी चिकित्सकों के वहां मासूम मरीजों की संख्या एकाएक बढ़ गई। चिकित्सक बच्चों को ठंड से बचाकर रखने का सुझाव दे रहे हैं। सीएचसी में 10 से 20 बच्चे इलाज कराने पहुंचे जबकि नगर स्थित निजी चिकित्सकों के वहां इससे अधिक संख्या में बच्चों का इलाज चल रहा है।
पडरौना नगर के नर्सिंग होम में आकाश नौ माह, मीरा 10 माह, विक्की सवा साल, सुधांशु आठ माह, ब्यूटी छह माह, असफाक 10 माह, रीतिक नौ माह डायरिया की चपेट में आने से भर्ती हैं।
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बच्चों को ठंड से बचाएं, खाने-पीने में बरतें सावधानी
-चिकित्सकों के मुताबिक मौसम के अनुकूल व प्रतिकूल दोनों तरह के प्रभाव होते हैं। सीएचसी के बाल रोग विशेषज्ञ डा. मधुसूदन शर्मा व मजीबुल्लाह बताते हैं कि एहतियात न बरतने पर छोटे बच्चों में निमोनिया व विटर डायरिया का खतरा है। निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण जुकाम-बुखार व खांसी आदि के साथ ही बच्चे का लगातार रोना व पसलियां चलना आदि है। ऐसी हालत में तत्काल बिना देर किए चिकित्सक की सलाह लें। बच्चों को एक्सपोजर से बचाएं। सुबह शाम की ठंड के समय विशेष ध्यान रखें। मौसम के अनुकूल ही कपड़े पहनाएं और रात्रि में भी तापक्रम के अनुसार भलीभांति कपड़ा ओढ़ाकर सुलाएं।
नवजात शिशुओं के लिए ठंड खतरनाक है। जन्म के बाद बच्चे को गर्म कपड़े में लपेट कर रखें। बच्चों को ऊपर का दूध न दें। यदि किन्हीं कारणों से ऊपर का दूध देने की मजबूरी हो तो बोतल को गर्म पानी में उबालने के बाद गर्म दूध गुनगुना करने के बाद दें। पांच वर्ष तक के बच्चों को रखा हुआ खाना न दें। उन्होंने बताया कि इस मौसम में कोल्ड डायरिया, चेस्ट इंफेक्शन व वायरल डिजीज बहुत अधिक होता है।
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सीएचसी में बच्चों की इलाज की मुकम्मल व्यवस्था है। बच्चों के दो चिकित्सक नियुक्त हैं। दवा उपलब्ध है। निमुलाइजेशन की भी व्यवस्था है।
डा. मारकंडेय चतुर्वेदी
सीएचसी अधीक्षक