संरक्षित होगा इंडो-म्यांमार मैत्री प्रतीक वटवृक्ष
दैनिक जागरण की खबर रंग लाई है। खबर प्रकाशन के बाद इंडो-म्यांमार की दोस्ती के प्रतीक ऐतिहासिक वट वृक्ष के संरक्षण के लिए नई दिशा पर्यावरण सेवा संस्थान आगे आया है। वृक्ष की ऐतिहासिकता और दुर्दशा से जुड़ी खबर जागरण ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। खबर का असर हुआ।
कुशीनगर : दैनिक जागरण की खबर रंग लाई है। खबर प्रकाशन के बाद इंडो-म्यांमार की दोस्ती के प्रतीक ऐतिहासिक वट वृक्ष के संरक्षण के लिए नई दिशा पर्यावरण सेवा संस्थान आगे आया है। वृक्ष की ऐतिहासिकता और दुर्दशा से जुड़ी खबर जागरण ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। खबर का असर हुआ। संस्था के लोग मौके पर पहुंच कर यथा स्थिति से परिचित हुए। संरक्षण की योजना बनाई। प्राचार्य डॉ. अमृतांशु शुक्ल से मिलकर मांग पत्र सौंप सहयोग मांगा। वर्ष 1956 में म्यांमार के तत्कालीन प्रधानमंत्री ऊ नू कुशीनगर बुद्ध नगरी में एक धार्मिक आयोजन में शामिल होने आए थे। उसी तिथि को उन्होंने बुद्ध पीजी कालेज परिसर में वटवृक्ष रोपित कर दोनों देशों के मैत्री में ताजगी भरा था। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने बुद्ध की 2500 वीं जयंती पर अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन का आयोजन किया था। इसमें विश्व के बौद्ध देशों के राष्ट्राध्यक्ष व प्रतिनिधि आमंत्रित किए गए थे। 63 वर्ष पुराना यह वटवृक्ष आज विशालकाय रूप ले चुका है। अफसोस इस बात का कि मित्र राष्ट्र के राष्ट्राध्यक्ष द्वारा रोपित वृक्ष के संरक्षण के लिए स्थानीय स्तर पर कुछ नहीं किया गया। आसपास घनी झाड़ियां हैं तो पास ही गहरा गड्ढा खोद दिया गया है जो कभी भी वृक्ष का अस्तित्व समाप्त कर सकता है। वृक्ष का निरीक्षण करने पहुंचे संस्था के सचिव डॉ. हरिओम मिश्र, डॉ. गौरव तिवारी, डॉ. निगम मौर्य, मनोज प्रजापति, अरूण गुप्त, शशिकांत चौबे, इंद्र मिश्र, प्रभात त्रिपाठी, सत्येंद्र मिश्र आदि ने कहा कि ऐतिहासिक व धार्मिक इस वृक्ष के संरक्षण का संकल्प लिया गया है। प्राचार्य डॉ. शुक्ल ने भी सहयोग का आश्वासन दिया है। शीघ्र ही इस दिशा में कार्य शुरू किया जाएगा। खबर के माध्यम से जागरूकता के लिए दैनिक जागरण को भी धन्यवाद दिया।