सरल व समावेशी है भारतीय संस्कृति : प्रो. गिरीश्वर मिश्र
कुशीनगर के हाटा में आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि मनुष्य को गौरव व सम्मान से जीने का रास्ता बताती है संस्कृति सदाचार के मार्ग पर चलकर जी सकते हैं गौरवशाली जीवन।
कुशीनगर: भारतीय संस्कृति सरल व समावेशी है। यह हमारी प्रतिष्ठा का आधार है।शास्त्र बहुत उदार और सहिष्णु होता है। मनुष्य को उदारता सिखाता है साथ ही गौरव व सम्मान से जीने का रास्ता भी दिखाता है।
यह बातें पूर्व कुलपति हिदी विश्वविद्यालय वर्धा महाराष्ट्र गिरिश्वर मिश्र ने कही। वह नगर के प्रबोधिनी संस्कृत पाठशाला में संस्कृत और भारतीय संस्कृति विषय पर आयोजित गोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। कहा कि मनुष्य गौरव व सम्मान के गुणों के कारण ही अन्य प्राणियों से अलग करता है। संस्कृत भारत की प्रतिष्ठा का मुख्य आधार है और भारतीय संस्कृति सरल व समावेशी है।
दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय के हिदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. चितरंजन मिश्र ने कहा कि मनुष्य अपना गौरवशाली जीवन सदाचार के मार्ग पर चलकर ही जी सकता है। शास्त्र सदाचार की शिक्षा देते हैं। हम अपनी संस्कृति की मजबूती भी शास्त्रों के दम पर ही बना सके हैं, गौरव व सम्मान मनुष्य के महान गुण हैं, जिनसे अन्य जीव से अलग होता है। पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेश त्रिपाठी ने कहा कि सनातन धर्म की मजबूत जड़ें हमारे संस्कृत भाषा के वजह से है पूरे विश्व में भारतीय धर्म का ज्ञान कराने में वैदिक धर्म ने महती भूमिका निभाई है। इसके अलावा डा. संजयन त्रिपाठी ने संस्कृत को भारतीय संस्कृति का धरोहर बताया। संचालन हरेकृष्ण पांडेय ने किया। प्रधानाचार्य प्रभुनाथ पांडेय ने अतिथियों का आभार प्रकट किया।
इस मौके पर डा. चंद्रदेखर पांडेय, आनद मणि, राजन तिवारी, मनीष उपाध्याय, बागीश दत्त तिवारी, भागवत मिश्र, श्री नारायन त्रिपाठी, नागेश्वर त्रिपाठी, वेद प्रकाश त्रिपाठी, हिमांशु मिश्र आदि मौजूद रहे।