बुजुर्ग आंखों में स्वच्छता के जवां सपने
जिस उम्र में इंसान आराम चाहता है रामनगीना उसमें स्वच्छता का अभियान चला रहे हैं। गांव को साफ रखने की जिद पाले 84 साल के ये बुजुर्ग न केवल रोजाना गांव की सड़कों पर झाड़ू लगाते हैं बल्कि दूसरों को भी प्रेरित करते हैं। कहते हैं कि जिंदगी की अंतिम सांस तक इस नेक काम को करता रहूंगा।
कुशीनगर : जिस उम्र में इंसान आराम चाहता है, रामनगीना उसमें स्वच्छता का अभियान चला रहे हैं। गांव को साफ रखने की जिद पाले 84 साल के ये बुजुर्ग न केवल रोजाना गांव की सड़कों पर झाड़ू लगाते हैं, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित करते हैं। कहते हैं कि जिंदगी की अंतिम सांस तक इस नेक काम को करता रहूंगा।
तरयासुजान के गांव कोईदी बुजुर्ग के बभन टोली निवासी रामनगीना 24 साल पहले सेवानिवृत्त हुए। वह दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, के विज्ञान विभाग में प्रयोगशाला सहायक के पद पर सेवारत थे। अपनी जुझारू प्रवृत्ति की वजह से ही वह कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष बने। रिटायरमेंट के बाद रहने के लिए गांव पहुंचे तो वहां फैली गंदगी ने उनका मन खिन्न कर दिया। सफाई होती थी न ही कोई कर्मचारी आता था।
उन्होंने गांव को साफ-सुथरा रखने का बीड़ा उठाया और अकेले ही इस राह पर बेफिक्र चल पड़े। दो दशक से इस राह पर सफर करते चले आ रहे रामनगीना कहते हैं कि अब तो यह काम राष्ट्रीय अभियान से भी जुड़ गया है। बड़ा बेटा पीएसी और छोटा बेटा दारोगा की ट्रेनिग में होने के चलते वह घर की जिम्मेदारियों से मुक्त हैं।
वह कहते हैं कि घर की छोड़िए हमने पूरे गांव की जिम्मेदारी ली। स्वच्छ रखने की। गंदगी दूर करने की। इससे बड़ी जिम्मेदारी क्या हो सकती है। हर कोई यह जिम्मेदारी समझे, तो बात मुकाम तक पहुंचे। लोग समझने की शुरुआत के दौर में दिखने भी लगे हैं। गांव में उनके इस काम की जहां तारीफ होती है चर्चाएं भी खूब होती हैं, लेकिन वे अपने जुनून के साथ इस दूर लगन से लगे हुए हैं।