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कुशीनगर में सुविधा के लिए तरस रहा स्वतंत्रता सेनानियों का गांव

कुशीनगर के अमवादीगर गांव की सड़क क्षतिग्रस्त शुद्ध जल का इंतजाम नहीं इंटर की पढ़ाई के लिए 35 किमी दूर जाने की मजबूरी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 11:45 PM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 11:45 PM (IST)
कुशीनगर में सुविधा के लिए तरस रहा स्वतंत्रता सेनानियों का गांव
कुशीनगर में सुविधा के लिए तरस रहा स्वतंत्रता सेनानियों का गांव

कुशीनगर: दुदही विकास खंड का अमवादीगर स्वतंत्रता संग्राम में अपना सब कुछ गंवाने वाले शुकदेव प्रसाद, सूर्यदेव प्रसाद, चंद्रदेव प्रसाद, बेनी बैठा, धरीक्षण राय, भीम भगत, मंगल पाल का गांव है। आजादी के सात दशक बाद भी केंद्र व प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ इस गांव के लोगों को नहीं मिला।

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गांव की सड़क आज भी गड्ढ़ों में तब्दील है। रिकू पटेल, नरेश पटेल, उमा कुशवाहा, सुनील कुशवाहा आदि का कहना है कि नाली न होने के चलते लोगों के घरों का गंदा पानी सड़क पर ही फैलता है। पेयजल के लिए 25 इंडिया मार्क हैंडपंप लगवाए गए हैं। उनमें से 10 री-बोर की स्थिति में हैं, अन्य से पीला पानी निकलता है। मजबूरी में लोग देसी हैंडपंप का दूषित पानी पीते हैं।

गांव में प्राथमिक विद्यालय है, इंटर की पढ़ाई के लिए छात्र-छात्राओं को 35 किमी दूर तमकुहीरोड या 30 किमी दूर दुदही जाना पड़ता है। अस्पताल के नाम पर एक एएनएम सेंटर है जो खंडहर में तब्दील हो गया है। एएनएम यहां रहती नहीं हैं। महिलाओं व बच्चों को दुदही या तमकुहीराज जाना पड़ता है। राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत लगे तार जर्जर हो गए हैं व पोल झुक गए हैं। इससे आए दिन फाल्ट की समस्या से जूझना पड़ता है। गांव की उपेक्षा के लिए लोग जनप्रतिनिधियों को दोषी ठहराते हैं। छह हजार है गांव की आबादी

गांव की कुल आबादी 6000 है। इसमें 33 सौ पुरुष व 27 सौ महिलाएं हैं। पुरुष मतदाता 2477 पुरुष और महिला मतदाता 1114 हैं। गांव के 70 फीसद लोग साक्षर हैं, लेकिन उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों की संख्या महज 20 फीसद ही है।

एडीएम विन्ध्यवासिनी राय ने कहा कि गांवों का विकास ग्राम्य पंचायत स्तर से होता है। स्वतंत्रता सेनानियों के गांव में सुविधाओं की कमी की जहां तक बात है, इसका निरीक्षण कर जहां तक हो सकेगा विकास कार्य कराया जाएगा।

विन्ध्यवासिनी राय, एडीएम


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