कुशीनगर में ढूढ़ कर सुधारी जाएगी अति कुपोषित बच्चों की सेहत
कुशीनगर में जीएमडी के जरिये होगी पांच साल तक के अति कुपोषित बचों की पहचान एक फरवरी से एएनएम संग घर-घर पहुंचेंगी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता।
कुशीनगर: कुपोषण पर लगाम लगाने के लिए अभियान चलेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से जल्द ही इसे जिले भर में लागू किया जाएगा। सर्वोच्च प्राथमिकता अति कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें पुनर्वास केंद्रों में भेजना होगा। जीएमडी (ग्रोथ मानिटरिग डिवाइस) के माध्यम से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एएनएम संग घर-घर पहुंच कर शून्य से पांच साल तक के बच्चों की सेहत की जानकारी एकत्रित करेंगी।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर एक से 20 फरवरी के मध्य पर्यवेक्षकों की निगरानी में शून्य से पांच वर्ष आयु वर्ग के सभी बच्चों का शारीरिक माप (वजन, लंबाई व उंचाई) कर अति गंभीर कुपोषण की श्रेणी वाले बच्चों को चिन्हित किया जाएगा। उम्र के अनुसार कम वजन व लंबाई वाले तथा दुबले-पतले बच्चे अति कुपोषित माने जाएंगे। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इन बच्चों की सूची तैयार कर जिला कार्यालय को उपलब्ध कराएगीं। स्वास्थ्य विभाग की मदद से इन बच्चों को जिला अस्पताल स्थित पुनर्वास केंद्र भेजा जाएगा, जिससे कि इन बच्चों की सेहत में सुधार हो सके। जीएमडी एक इलेक्ट्रानिक डिवाइस है, जिससे बच्चे की वजन के साथ उसकी ऊंचाई मापी जाएगी। इसके माध्यम से बच्चों की जांच कैसे होगी, इसके लिए सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं एएनएम को प्रशिक्षित किया जाएगा।
जिले में 45 हजार से अधिक बच्चे कुपोषित
-कुशीनगर में शून्य से पांच वर्ष आयु वर्ग के 45 हजार 384 बच्चे कुपोषित हैं। इनको विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के तहत पौष्टिक आहार मुहैया कराया जा रहा है। वर्ष 2020 में कुपोषित बच्चों की जांच में 8 हजार 618 बच्चे अति कुपोषित तथा 138 बच्चे अति गंभीर कुपोषित पाए गए थे।
जिला कार्यक्रम अधिकारी एसके सिंह ने कहा कि जीएमडी (ग्रोथ मानिटरिग डिवाइस) के माध्यम से अति कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें पुनर्वास केंद्र भेजा जाएगा। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को आवश्यक निर्देश दे दिए गए हैं। इन्हें प्रशिक्षित किए जाने की तैयारी चल रही है। एक फरवरी से अभियान जिले में शुरू हो जाएगा।