कुशीनगर में झूमकर बरसे बदरा, कहीं फसलों को मिली संजीवनी तो कहीं किसानों को उठाना पड़ा नुकसान
कुशीनगर जिले में लगातार हो रही बारिश से ज्यादातर इलाकों में फसलों को लाभ हुआ है। वहीं कुछ इलाकों में बारिश के साथ तेज हवा चलने से फसलों को नुकसान पहुंचा है। वहीं कुछ स्थानों पर खेतों में पानी अधिक भरने से किसानों को फसल नुकसान का डर है।
कुशीनगर, जागरण संवाददाता। कुशीनगर जिले में मूसलधार बारिश से अधिकांश हिस्सों में धान व गन्ने की फसल को लाभ पहुंचा है तो कुछ गांवों में नुकसान हुआ है। बारिश के साथ चलने वाली हवा के कारण धान की अगेती फसल ढह गई है। गन्ने के खेतों में जलभराव होने की वजह से उसके ढहने की आशंका बढ़ गई है।
पूरे जिले में दिख रहा बारिश का असर
हालांकि बुधवार की आधी रात से शुरू हुई बारिश का असर पूरे जनपद में दिख रहा है। इससे मंसूरी प्रजाति के धान की फसल को सर्वाधिक लाभ पहुंचा है। कई गांवों में किसानों ने धान की शीघ्र पकने वाली प्रजातियों की बोआई की है। उनमें बालियां आ गई हैं, वर्षा के साथ हवा के दबाव से फसल गिर गई है। इससे उत्पादन प्रभावित होने का डर सता रहा है। चंदरपुर के रामसेवक, गोबरहीं के चंदेश्वर कुशवाहा, मंगरू भगत आदि किसानों ने बताया कि अगेती प्रजाति का क्षेत्रफल कम है। अधिकांश लोग सांभा मंसूरी की खेती किए हैं, उसे वर्षा से लाभ हुआ है। पानी अधिक होने की वजह से गन्ने को लेकर डर बना हुआ है।
यहां भारी बारिश से किसानों को फसलों के नुकसान का डर
नेबुआ नौरंगिया संवाददाता के अनुसार विशुनपुरा ब्लाक के खजुरिया, ढोरही, सरपतही, पिपरा, धर्मपुर, नरचोचवा, मिठहां माफी, मोतीपुर, चितहां, कुकुरहां, भुजौली शुक्ल, पटेरा, खेसिया, लीलाधर छपरा आदि गांवों में अत्यधिक वर्षा होने से धान व गन्ने की फसल को नुकसान का डर सता रहा है। हवा के झोकों ने धान की लहलहाती फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है। कुछ जगहों पर धान व गन्ने की फसल खेतों में गिर गई है। अगेती प्रजाति के धान की फसल लगभग तैयार हो चुकी है। उसके गिर जाने से किसान परेशान हैं।
वर्षा से फसलों को मिली संजीवनी, किसानों के चेहरे खिले
वर्षा से किसानों के चेहरों पर खुशी दिखी। कम समय में हुई अच्छी वर्षा से धान की फसलों को संजीवनी मिली है। किसान रोहित खरवार, मोहर्रम व मंटू कुमार का कहना है कि सितंबर में धान की फसलों में पानी की अधिक आवश्यकता होती है। इसके अलावा खरीफ सीजन की दूसरी फसलों को भी बीच-बीच में पानी की जरूरत होती है। पिछले करीब एक माह से ठीक से वर्षा न होने से फसलें सूखने लगी थीं। औसत से कम वर्षा होने से फसलों का विकास प्रभावित होने से किसान परेशान थे, लेकिन बुधवार की रात व गुरुवार को दिनभर वर्षा होने से मौसम में नरमी आ गई है।