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नहीं मिला सरकारी आवास, झोपड़ी में ठिकाना

सदर विकास खंड के गांव जंगल जगदीशपुर गांव के जंगलगुर्दी और बांड़ी टोला के पात्रों को आवास विकलांग विधवा वृद्धा पेंशन जैसी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सका है। झोपड़ी में रहने वाले ग्रामीणों को सरकारी आवास के लिए पात्र ही नहीं माना गया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 11:33 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 11:33 PM (IST)
नहीं मिला सरकारी आवास, झोपड़ी में ठिकाना
नहीं मिला सरकारी आवास, झोपड़ी में ठिकाना

कुशीनगर: सदर विकास खंड के गांव जंगल जगदीशपुर गांव के जंगलगुर्दी और बांड़ी टोला के पात्रों को आवास, विकलांग, विधवा, वृद्धा पेंशन जैसी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सका है। झोपड़ी में रहने वाले ग्रामीणों को सरकारी आवास के लिए पात्र ही नहीं माना गया है।

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जंगल जगदीशपुर की कुल आबादी करीब 7400 है। इसमें जंगलगुर्दी, बांड़ी टोला समेत दस टोले शामिल हैं। जंगलगुर्दी टोला की आबादी करीब एक हजार है और यहां के अधिकतर लोग झोपड़ी में ही रहते हैं। आधा दर्जन इंडिया मार्क हैंडपंप लगे हैं लेकिन अधिकतर खराब हैं। जो ठीक हैं उनसे दूषित पानी निकल रहा है। शौचालय अधूरे हैं। शांती देवी ने कहा कि पेंशन के लिए ग्राम प्रधान, सचिव से लेकर ब्लॉक कार्यालय तक चक्कर लगा चुकी हूं, लेकिन कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है। रामदास ने बताया कि गांव में जो भी अधिकारी दौरे पर आते हैं, उसे सरकारी सुविधाओं के लिए प्रार्थना पत्र दिया जाता है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जंगलगुर्दी टोला पर प्रशासन का ध्यान नहीं है। दिव्यांग संदीप ने बताया कि सरकार दिव्यांगों के कल्याण के लिए कई योजनाएं चला रही है। पेंशन व अन्य सुविधाओं के लिए विभाग में कई बार चक्कर लगाया लेकिन अधिकारियों से सिर्फ आश्वासन मिला। किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। मुन्ना का कहना है कि आवास के लिए कई बार अधिकारियों को प्रार्थना पत्र दिया गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में झोपड़ी में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। बारिश में काफी समस्या होती है। सीडीओ अन्नपूर्णा गर्ग ने कहा कि पात्रों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाना शासन की प्राथमिकता है। अगर कुछ पात्र वंचित हैं तो इसकी जांच कराई जाएगी। उन्हें हर हाल में योजनाओं का लाभ दिलवाया जाएगा।


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