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भगवान और भक्त दोनों से मिलना सौभाग्य

तमकुही विकास खंड के बसडीला महंथ में आयोजित पांच दिवसीय संगीतमय रामकथा का समापन किया गया

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Jun 2018 11:09 PM (IST)Updated: Sat, 09 Jun 2018 11:09 PM (IST)
भगवान और भक्त दोनों से मिलना सौभाग्य
भगवान और भक्त दोनों से मिलना सौभाग्य

कुशीनगर: तमकुही विकास खंड के बसडीला महंथ में आयोजित पांच दिवसीय संगीतमय रामकथा का समापन हुआ अयोध्या से पधारी कथावाचिका मानस मर्मज्ञ दीदी स्मिता वत्स ने कथा के दौरान रामजन्म से लेकर भरत मिलाप तक के प्रसंगों को सुनाया। उन्होंने श्रीराम का राजतिलक के कथा प्रसंगों का ऐसा चित्रण किया कि जब राम-भरत मिलाप का मार्मिक प्रसंग आया तो लोगों की आंखें छलक गईं। वहीं केवट प्रसंग में केवट राज के भक्ति चातुर्य ने श्रद्धालुओं को गुदगुदाया। व्यासपीठ से मानस मर्मज्ञ वत्स ने कहा कि कलयुग में रामनाम की बड़ी महिमा है कथा वाचन, कथा श्रवण और रामनाम के जपने से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। कहा कि तुलसीदास जी ने विभीषण की कुटिया को भवन जबकि रावण की लंका को मंदिर कहा। इसकी वजह यह है कि सीताजी की खोज में हनुमानजी ने लंका को छान मारा और हनुमानजी के चरण जहां पड़ जाएं वह मंदिर से कम नहीं। हनुमान और सुरसा के प्रसंग पर उन्होंने कहा कि छोटे बनकर रहने में भी बड़ाई है। कहा कि आज के दौर में लोग परस्पर प्रतिस्पर्धा में भटक जाते हैं हमारे कर्म और विचार हमें उचित स्थान दिलाते हैं। शबरी के समर्पण भाव से मुग्ध होकर उनके कुटिया पहुंचकर भगवान ने बेर खाए व उनकी बहुत बड़ाई की। भगवान सबके लिए बराबर का भाव रखते है यह इस भाव से सिद्ध हो जाता है। द्वापर में भी भगवान कृष्ण ने दुर्योधन के घर बनाए छप्पन भोग को त्यागकर विदुर के घर पहुंचकर साग खाते हैं यह प्रसंग भी भगवान भाव के भूखे है उनकी प्रमाणिकता बताती है। भगवान राम क राजतिलक के साथ कथा का समापन किया गया।

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