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..और एक फोन काल से बेरंगत हुई पिकी की पिक दुनिया

दुदही विकास खंड के ग्राम पंचायत दुमही में मंगलवार की सुबह सब कुछ ठीकठाक चल रहा था। सेना के जवान चंद्रभान चौरसिया के घर में बुधवार को मकर संक्रांति त्योहार की तैयारी चल रही थी। पिता राजबलम अपने दो पोतों को संभाल रहे थे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 11:34 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 11:34 PM (IST)
..और एक फोन काल से बेरंगत हुई पिकी की पिक दुनिया
..और एक फोन काल से बेरंगत हुई पिकी की पिक दुनिया

कुशीनगर : दुदही विकास खंड के ग्राम पंचायत दुमही में मंगलवार की सुबह सब कुछ ठीकठाक चल रहा था। सेना के जवान चंद्रभान चौरसिया के घर में बुधवार को मकर संक्रांति त्योहार की तैयारी चल रही थी। पिता राजबलम अपने दो पोतों को संभाल रहे थे।

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पत्नी पिकी तिल का लड्डू बनाने में व्यस्त थी। वातावरण में मिठास घुली हुई थी। अचानक दस बजे मोबाइल फोन की घंटी बजी, 9419330316 नंबर फ्लैश हो रहा था, पिकी ने काल पिक किया, तो कहा गया कि पिता जी से बात कराओ और चंद सेकेंड बाद ही वातावरण कड़वा हो गया। चंद्रभान के शहीद होने की खबर सुनते ही परिजन चीत्कार उठे। पिकी की दुनिया ही उजड़ गई।

बिहार प्रांत के गौरा बाजार निवासी चंद्रभान के ससुर त्रिवेणी चौरसिया ने बताया कि वह वर्ष 2015 में सेना में भर्ती हुआ था। नौ महीने तक लखनऊ में ट्रेनिग की। पहली पोस्टिग वर्ष 2016 में जालंधर कैंट में हुई। सात जुलाई 2016 को पिकी के साथ विवाह हुआ। पिकी चार भाइयों के बीच इकलौती बहन थी। पिता ने धूमधाम से विवाह किया था।

आठ माह तक लद्दाख के ग्लेशियर में तैनात रहे। दो साल से कुपवाड़ा के मच्छल सेक्टर में तैनात थे। 20 जनवरी को वहां से अन्यत्र पोस्टिग होनी थी। लेकिन सात दिन पूर्व ही क्रूर नियति ने जीवन छीन लिया। बिलखते पिकी ने बताया कि तीन महीने ड्यूटी करने के बाद 28 दिनों की छुट्टी पर घर आते थे। बीते 16 अक्टूबर को आए थे व 13 नवंबर को चले गए। जनवरी के अंत में छुट्टी पर आने वाले थे।

12 जनवरी को सायं छह बजे फोन से बात हुई, तो बताया कि तीन दिनों से बर्फबारी हो रही है। छुट्टी में घर आने व वसंत पंचमी पर कहीं घुमाने का वादा किया। दूसरे दिन फोन करने को कहा था लेकिन फोन नहीं आया। सिर्फ साढ़े तीन वर्ष के वैवाहिक जीवन का सुख भोगने के बाद विधवा हो गई पिकी के सामने पहाड़ सा जीवन व दो बच्चों आर्यन व आयुष की परवरिश बड़ा सवाल है।

पिता राजबलम सदमे में हैं। अबकी आने पर चंद्रभान ने घर को ठीक कराने को कहा था। शहीद की मां कलावती की मृत्यु हो चुकी है जबकि बड़े भाई उदयभान रोजगार के सिलसिले में बाहर रहते हैं।


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