लद्दाख के कलाकारों ने किया भ्रमण
पाकिस्तान सीमा से सटे लेह-लद्दाख के गांव आर्यन से आए लोक कलाकारों की टीम ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय पर्यटक केंद्र कुशीनगर का भ्रमण किया। टीम बौद्ध परिपथ के स्थलों के भ्रमण के क्रम में यहां आई थी। इसके पूर्व गोरखपुर स्थित एक विद्यालय में मशहूर आर्यन नृत्य प्रस्तुत किया और बच्चों को प्रशिक्षित भी किया था। एक दिन दूरदर्शन पर भी कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
कुशीनगर: पाकिस्तान सीमा से सटे लेह-लद्दाख के गांव आर्यन से आए लोक कलाकारों की टीम ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय पर्यटक केंद्र कुशीनगर का भ्रमण किया। टीम बौद्ध परिपथ के स्थलों के भ्रमण के क्रम में यहां आई थी। इसके पूर्व गोरखपुर स्थित एक विद्यालय में मशहूर आर्यन नृत्य प्रस्तुत किया और बच्चों को प्रशिक्षित भी किया था। एक दिन दूरदर्शन पर भी कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
टीम के मुखिया श्रृंग दोरजे ने बताया कि कलाकारों की संस्कृति, वेश-भूषा और भाषा अन्य लद्दाखियों से अलग है। आर्यन नृत्य लद्दाखी नववर्ष लोसर के अवसर एक सप्ताह तक प्रस्तुत किया जाता है। इसके अतिरिक्त यह नृत्य वैवाहिक अवसरों और फसल कटाई के अवसर पर भी प्रचलित है। बताया कि यह नृत्य देश में कहीं और नहीं होता।
यह हमारे समाज की पहचान है। कहा कि अनुच्छेद 370 के हटने और लेह-लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बन जाने से हमलोग काफी खुश हैं। अब राज्य का बहुमुखी विकास होगा। कलाकारों ने दर्शनीय स्थलों का पूजन-वंदन भी किया। कुशीनगर पहुंचने पर संजीव उपाध्याय ने दल का स्वागत किया।
पी लाडोल, श्रृंग डोलमा, पी वांगचुक, सोनम दोरजे, सेवांग डोलमा, ताशी पालदन,श्रृंग लामचुंग, ताशी डोलकर, श्रृंग डोलकर, गलसन दोरजे, श्रृंग डाडुल, पदमा अंगमो, सुनील कुमार सिंह आदि उपस्थित रहे।