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सामाजिक कुंभ में दिखा समरसता का भाव

बड़ी गंडक के पनियहवा घाट पर आयोजित तीन दिवसीय मां नारायणी सामाजिक कुंभ के दूसरे दिन गुरुवार को आयोजन समिति के कार्यकर्ताओं व साधुसंतों के सुबह योग व प्रार्थना के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज के कुलपति प्रो. केएन सिंह ने कहा कि सामाजिक कुंभ का मुख्य उद्देश्य समता ममता व समरसता का भाव जागृत करना है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 11:36 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 06:13 AM (IST)
सामाजिक कुंभ में दिखा समरसता का भाव
सामाजिक कुंभ में दिखा समरसता का भाव

कुशीनगर : बड़ी गंडक के पनियहवा घाट पर आयोजित तीन दिवसीय मां नारायणी सामाजिक कुंभ के दूसरे दिन गुरुवार को आयोजन समिति के कार्यकर्ताओं व साधुसंतों के सुबह योग व प्रार्थना के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज के कुलपति प्रो. केएन सिंह ने कहा कि सामाजिक कुंभ का मुख्य उद्देश्य समता, ममता व समरसता का भाव जागृत करना है।

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पनियहवा में पर्यटन की अपार संभावनाएं को देखते हुए नियोजकों व नीति आयोग तक बात पहुंचायी जानी चाहिए। संयोजक मनोज पांडेय ने कहा कि कुंभ समुदाय, समाज, समसामयिक विषयों पर चितन व निष्कर्ष का विषय है। अभी तक नेपाल से निकलने वाली नारायणी नदी के महत्व पर कोई सार्थक पहल नहीं हुई।

कृषि के क्षेत्र में विजयेंद्र पांडेय, सेवा के क्षेत्र में डॉ. अजय सिंह व पर्यावरण के लिए तपसी कुशवाहा के परिजनों को मां नारायणी का स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। शाम को पवित्र नदी के किनारे वैदिक मन्त्रोचार के बीच महाआरती हुई। इसके पूर्व मनोज पांडेय की हस्तलिखित पुस्तक सदानीरा मां नारायणी का विमोचन हुआ। कार्यक्रम को प्रहलाद दास, बालक दास, कुन्ज बिहारी, बगही कुट्टी महंथ विशम्भर दास ने संबोधित किया।

अध्यक्षता पं. ब्रहमदेव तिवारी व संचालन डॉ. निखिलेश्वर मिश्र ने किया। राणा प्रताप राव, हरिशंकर राय, वद्री विशाल तिवारी, बृजेश मिश्रा, आनन्द दूबे, कृष्णमुरारी पांडेय, श्याम मुरली मनोहर मिश्र, आशुतोष पांडेय, मनोज राव, अनिल सिंह, सन्तोष दत्त राय, विनोद भारती, शशिकांत मिश्र, सुनील यादव, प्रभाकर पांडेय, विकास सिंह आदि मौजूद रहे। गोरखपुर से आए कलाकार सच्चिदानंद सरस व चंदन चंचल के भजन गीतों पर श्रद्धालु भाव विभोर होते रहे।


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