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दाने-दाने को मोहताज होने पर छोड़ा शहर

मल्लूडीह गांव के चंदन वर्मा हैदराबाद में कंपनी में कार्य करते थे। मालिक ने कंपनी बंद कर दिया। घर से पैसा मंगाने के बाद पुलिस स्टेशन में रजिस्ट्रेशन कराया। उसके बाद ट्रेन चलने पर उससे गोरखपुर फिर वहां से घर पहुंचा। सोनू कुमार बंगलौर में थे वहां से पैदल ही निकल पड़े। तीन सौ किमी चलने के बाद हाइवे पर ट्रक मिला। तीन हजार रुपये देने के बाद घर पहुंचे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 04:15 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 04:15 PM (IST)
दाने-दाने को मोहताज होने पर छोड़ा शहर
दाने-दाने को मोहताज होने पर छोड़ा शहर

कुशीनगर: लॉकडाउन में देश के विभिन्न शहरों से लौटे प्रवासी मजदूरों की उम्मीदों पर कोरोना का खौफ साफ दिख रहा है। उनका कहना है कि गांव आते समय सैकड़ों किमी पैदल, कुछ दूरी ट्रक या बस से तय करनी पड़ी थी।

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कभी नहीं भूलेगा लॉकडाउन का दर्द

सूरजनगर: खजुरिया गांव के शनि शर्मा राजस्थान के बाड़मेर की एक कंपनी में मैकेनिकल सुपरवाइजर थे। कहते हैं कि 200 किमी पैदल चलकर जोधपुर फिर बस से गोरखपुर और वहां से पैदल घर आए। अहमदाबाद में फर्नीचर की कंपनी में काम कर रहे हरीलाल कहते हैं कि मकान मालिक ने कमरा खाली करा दिया। वह डेढ़ सौ किमी पैदल चले, ट्रेन से देवरिया और वहां से पैदल घर पहुंचे। रमेश गुजरात में कारपेंटर थे। दुकानदार ने राशन देना बंद कर दिया तो लाचार होकर कुछ दूर पैदल चले फिर ट्रक से घर आए। कहते हैं कि लॉकडाउन का दर्द कभी नहीं भूलेगा।

गांव की मिट्टी शहर से बेहतर

अजीजनगर: लोहेपार के बिकई यादव कई वर्षों से हैदराबाद में दिहाड़ी मजदूर का कार्य करते थे। लॉकडाउन में कार्य बंद हो गया। मकान मालिक ने कमरे से बाहर कर दिया। अपने सेठ से दो हजार उधार मांगकर ट्रक से घर आए। इसी गांव के सन्नी राव राजस्थान में रहते थे। कहते हैं कि रोजगार जाने के बाद तीन दिन भूखे रहना पड़ा। मजबूर होकर ट्रक से घर पहुंचे। अब गांव में ही कमाए-खाएंगे, दूसरे शहर में नहीं जाएंगे।

घर आए तो मिला जहान, संवारेंगे गांव

कसया: मल्लूडीह गांव के चंदन वर्मा हैदराबाद में कंपनी में कार्य करते थे। मालिक ने कंपनी बंद कर दिया। घर से पैसा मंगाने के बाद पुलिस स्टेशन में रजिस्ट्रेशन कराया। उसके बाद ट्रेन चलने पर उससे गोरखपुर फिर वहां से घर पहुंचा। सोनू कुमार बंगलौर में थे, वहां से पैदल ही निकल पड़े। तीन सौ किमी चलने के बाद हाइवे पर ट्रक मिला। तीन हजार रुपये देने के बाद घर पहुंचे।


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