उत्तरा में तबाही, हथिया का सता रहा भय
अश्विन (क्वार) माह के अंतिम सप्ताह में उत्तरा नक्षत्र में लगातार बारिश से फसलों की तबाही के बाद किसानों को हथिया (हस्त) नक्षत्र का भय सताने लगा है। अगर बारिश का क्रम चलता रहा तो धान की फसल ढह जाएगी और गन्ना भी उकठ जाएगा।
कुशीनगर: अश्विन (क्वार) माह के अंतिम सप्ताह में उत्तरा नक्षत्र में लगातार बारिश से फसलों की तबाही के बाद किसानों को हथिया (हस्त) नक्षत्र का भय सताने लगा है। अगर बारिश का क्रम चलता रहा तो धान की फसल ढह जाएगी और गन्ना भी उकठ जाएगा।
आचार्य वीरेंद्र कुमार चौबे ने बताया कि पुरानी मान्यता है कि उत्तरा से वर्षा उत्तरायण होने लगता है। हथिया नक्षत्र का किसानों को बेसब्री से इंतजार रहता है। इस नक्षत्र का जल मीठा और शीतल होने से रवि की फसलों को लाभ होता है। 28 सितंबर को सुबह नौ बजकर 23 मिनट से हस्त नक्षत्र शुरू होगा, समापन 11 अक्टूबर की रात नौ बजकर 52 मिनट पर काíतक मास में एक दिन चढ़कर समापन होगा। हथिया में झमाझम बारिश व हवा के झोके के साथ ठंड की शुरुआत होने लगती है। पहले मोटे अनाज अश्विन माह में पककर तैयार हो जाते थे तो हथिया में बारिश से फसल काटने में असुविधा होती थी। धान की नई प्रजाति आ जाने से फसल चक्र 15 दिन से एक माह आगे चला गया है। आचार्य चौबे ने कहा कि अगर उत्तरा में इतनी बारिश नहीं होती तो हस्त नक्षत्र में बारिश होने से किसानों को फायदा होता।