छेड़खानी अब रोज की कहानी
जिस वक्त यह खबर लिखी जा रही थी, उसी वक्त साथी रिपोर्टर के मोबाइल पर फोन आया। दूसरी ओर से सूचना दी गई कि एक गांव में छेड़छाड़ की घटना हुई है
कुशीनगर: जिस वक्त यह खबर लिखी जा रही थी, उसी वक्त साथी रिपोर्टर के मोबाइल पर फोन आया। दूसरी ओर से सूचना दी गई कि एक गांव में छेड़छाड़ की घटना हुई है। आंकड़ों में घूसना इसलिए बेमानी है कि जिले में हर रोज हो रही है छेड़खानी की तमाम घटनाएं। बीते मार्च में नेबुआ-नौरंगिया क्षेत्र में एक परिषदीय स्कूल की छात्रा के साथ सोहदों ने सरेराह छेड़खानी की। मामला पुलिस के संज्ञान में भी मगर परिणाम सिफर। आखिर परेशान महिलाएं शिकायत करें तो किससे, कोई बताने वाला नहीं है। सिर्फ जून महीने में दर्ज आंकड़ों पर नजर डालें तो जनपद में दुष्कर्म के 7 तथा छेड़छाड़ के 37 मामले सामने आए। पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार पांडेय के अनुसार दुष्कर्म के सभी आरोपित जेल में हैं। इससे जुड़े मुकदमों की विवेचना जल्द ही पूरी कर आरोप-पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया जाएगा। छेड़छाड़ के दर्ज मुकदमों की विवेचना को लेकर भी सजगता के निर्देश दिए गए हैं।
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इंसर्ट
आजिज आकर छात्रा ने छोड़ दी पढ़ाई
-बीते मार्च महीने में चौंकाने वाली घटना सामने आई। नेबुआ-नौरंगिया थाना क्षेत्र की नाबालिग ने गांव के ही शोहदों से आजिज आकर पढ़ाई छोड़ दी। पीड़िता गांव के ही परिषदीय स्कूल में कक्षा छह में पढ़ती थी। स्कूल आते-जाते समय शोहदे रोज उसे छेड़ते थे। 26 मार्च को शोहदे विद्यालय परिसर में पहुंचे और छात्रा को जबरिया खींच कर ले जाने लगे। शोर मचाने पर जुटे छात्र व शिक्षकों ने उसे मुक्त कराया। पीड़िता की मां ने घटना वाले दिन ही थाने में तहरीर देकर इसकी सूचना दी। चार अप्रैल को पुलिस ने मामले में आरोपित विशाल, विवेक, अखिलेश व बलिराम के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। बीटिया की पढ़ाई छूटने का परिवार को मलाल है। उसके पिता कहते हैं कि इस घटना से वह गहरे सदमे में चली गई। काफी इलाज के बाद उसकी स्थिति में सुधार आया, लेकिन स्कूल का नाम सुन वह आज भी सहम उठती है। हालात बेकाबू
-दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म कांड की घटना के बाद सरकार तेज हुई तो कड़े कानून भी बने। महिला कालेजों, स्कूलों से लगायत सरकारी दफ्तरों की सुरक्षा से जुड़े आदेश-निर्देश की झड़ी लग गई। पहल भी हुई मगर हर बार की तरह मामला ठंडा होते ही समूची कवायद ठप।
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ताक पर आदेश
-इन घटनाओं को रोकने के लिए शासन द्वारा सभी महिला कालेजों के निकट मजिस्ट्रेटों को गश्त करने का आदेश जारी हुआ था। ¨कतु ऐसा होते नहीं दिखा। सरकार ने सभी महिला कालेजों में महिला पुलिस की तैनाती का भी निर्देश दिया था लेकिन वह भी कागजों तक ही सिमट कर रह गया। नतीजा निडर शोहदे सरेराह घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
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यह भी है सुविधा
-महिला कालेजों में बोर्ड पर पुलिस अधिकारियों के नंबर लिखे जाने का आदेश हुआ। ¨कतु अधिकांश कालेजों में इस आदेश का अनुपालन होते नजर नहीं आ रहा है। छात्राओं का आरोप है कि जरूरत पड़ने पर किसी का फोन नहीं उठता।
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एक आदेश यह भी
-सरकार ने महिलाओं को 1090 के टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज कराने की सुविधा मुहैया करायी है, वूमेन पावर लाइन के नाम से काम कर रही इस सुविधा के तहत छेड़खानी आदि घटनाओं की शिकायत पीड़ित छात्राएं इस नंबर पर कर सकती हैं। इस सुविधा के तहत शिकायत कर्ता महिला को थाने जाने की भी जरूरत नहीं है।
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गंभीर है पुलिस : एसपी
-पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार पांडेय कहते हैं कि यौन ¨हसा के मामलों में त्वरित व सख्त कार्रवाई का निर्देश है। महिलाओं की शिकायतों को गंभीरता से लेने तथा उन्हें न्याय दिलाने के लिए विभाग तत्पर है। पुलिस के स्तर पर लापरवाही उजागर होने पर संबंधित के खिलाफ सख्त कदम उठाया जाएगा।