कोरोना संकट काल में ग्राहकों के साथ मजबूत हुए रिश्ते
जागरण संवाददाता पडरौना कुशीनगर कोरोना काल ने संकट में डाला तो तमाम अनुभवों को भी ि
जागरण संवाददाता, पडरौना, कुशीनगर: कोरोना काल ने संकट में डाला तो तमाम अनुभवों को भी दिया। कई चीजों को सीखने का अवसर मिला, प्रयोग किया और अब वह काम आ रहा है। यह कहना है रामकोला रोड पर मिठाई की दुकान करने वाले राजेश जायसवाल का।
वह कहते हैं कि किसी भी कारोबार में बहुत धैर्य रखना होता है। दुकान मालिक से लेकर कर्मचारियों के ग्राहकों से बातचीत, व्यवहार का भी बहुत असर होता है। कारोबार की सफलता के लिए यह जरूरी है कि आपको ग्राहकों के मन की भाषा पढ़ने और उनके साथ सामाजिक व मानसिक तारतम्य स्थापित करने का हुनर आता हो। यही हुनर मुश्किल घड़ी में ग्राहकों के समर्थन जुटाने में मददगार होता है। विश्वास, ईमानदारी और मानवता ही वे पहलू थे जिनकी मदद से कारोबार मुश्किल दौर से बाहर निकला।
उन्होंने बताया कि रामकोला मार्ग पर साकेत बिहारी मंदिर के समीप 1975 में पिताजी नगीना प्रसाद जायसवाल ने मिष्ठान की दुकान खोली। 1992 में मुझे दुकान की जिम्मेदारी मिली तो इसका विस्तार किया। मिठाई व नमकीन की गुणवत्ता से ग्राहकों का भरोसा मिला। इसका लाभ यह मिला कि ग्रामीण व नगरीय क्षेत्र के ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगी। कोरोना संक्रमण के शुरुआत में लाकडाउन ने लगभग दो महीने तक कारोबार को बुरी तरह प्रभावित किया, लेकिन ग्राहकों से संवाद कायम रखने के लिए उनसे फोन पर संपर्क साधा गया। अब दुकान पर नए व पुराने ग्राहकों की आवाजाही बनी हुई है। संकट की घड़ी में कर्मचारियों ने भी पूरा साथ दिया। उन्हें भी मुश्किल घड़ी में उनके साथ रहने का भरोसा दिया। लाकडाउन में ग्राहकों ने होम डिलिवरी की मांग की, जिस पर खरे उतरे। इससे ग्राहक संतुष्ट हुए और दुकान का खर्च निकलना शुरू हुआ। लाकडाउन के दौरान कारोबारियों को शर्तों के साथ छूट प्रदान की गई। इनमें हाट स्पाट से बाहर रहने वाले दुकानदारों को दुकान खोलने व सामान घर तक पहुंचाने की अनुमति प्रदान किए जाने की बात प्रमुख रही। लाकडाउन में हमने ग्राहकों को वाट्सएप व फोन से जोड़कर मिठाई और नमकीन पसंद कराया और घरों तक डिलिवरी भी कराई। कोरोना संकट के दौरान दुकानें बंद रहने के कारण कई दिक्कतें एक साथ आईं। दुकान बंद हो गयी तो कर्मचारियों को घर भेज दिया गया था, हां यह जरूर है कि सभी का पूरा ख्याल रखा जाता था, उनके वेतन में भी कोई कटौती नहीं की गई थी।
शादी-विवाह से लेकर किसी तरह के आयोजन पर रोक थी। खोवा से लेकर दूध व अन्य सामान की आपूर्ति बंद थी, लेकिन मोबाइल का सहारा लिया वाट्सएप ग्रुप बनाकर होम डिलीवरी के बारे में लोगों को अवगत कराया। दो कर्मचारियों को बुला लिया कि अगर मांग बढ़ी तो बनवाना शुरू कर देंगे। वाट्सएप पर मिठाई में छूट की स्कीम मिठाई की कई वेराइटी दिखाई गई। ग्राहकों की मांग पर उन्हें सुविधा देते हुए मानक व गुणवत्ता के साथ उपलब्ध कराया गया। कई बार यह क्षेत्र में लाकडाउन हुआ, उसके बाद भी लोगों को निराश नहीं होने दिया गया। शुरू में दो तरह की मिठाई के लिए बुकिग शुरू की गई, उसके बाद धीरे-धीरे बुकिग बढ़ गई। सभी कर्मचारी वापस आ गए।
स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस पर तमाम स्कूलों के प्रधानाचार्यों व प्रबंधकों ने लड्डू व अन्य मिठाइयों की आनलाइन बुकिग की, उनकी सुविधा के लिए उसे बताए गए जगह पर कर्मचारियों को लगाकर पहुंचाने की भी व्यवस्था की थी। मुश्किलों का निदान भी ग्राहकों के सहयोग से निकाला गया। लोग आनलाइन आर्डर और पेमेंट दोनों करने लगे। इस दौरान सामाजिक दायित्वों का भी ख्याल रखा गया। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में डिजिटल निर्भरता बढ़ी है। उस समय पूरा प्रयास था कि कोई ग्राहक असंतुष्ट न रहे। कर्मचारियों को भी यही सिखाया जाता है कि ग्राहक से मधुर बोलें। अब सरकार की गाइडलाइन का अनुपालन करते हुए दुकानें खुल रही हैं। प्रतिदिन सुबह व शाम में दुकान सैनिटाइज कराया जाता है। कर्मचारी मास्क लगाए रहते हैं। अभी उतने ग्राहक तो नहीं आ रहे हैं, लेकिन जो भी आते हैं उन्हें फिजिकल डिस्टेंसिग का पालन कराते हुए दुकान में प्रवेश करने दिया जाता है।