होलिका जलाएं, हरियाली बचाएं
बुराई पर अछाई की जीत का त्योहार होली आ गया है। भेदभाव मिटाकर संबंधों को नया आयाम देने का समय दस्तक दे रहा है। ऐसे में नफरत की होलिका जलाने की पहल करें। इस बार होलिका में न तो हरियाली जलाएं और न ही उसमें टायर व प्लास्टिक जैसे नुकसान करने तत्व ही डालें।
कुशीनगर : बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार होली आ गया है। भेदभाव मिटाकर संबंधों को नया आयाम देने का समय दस्तक दे रहा है। ऐसे में नफरत की होलिका जलाने की पहल करें। इस बार होलिका में न तो हरियाली जलाएं और न ही उसमें टायर व प्लास्टिक जैसे नुकसान करने तत्व ही डालें। होली की तैयारी में चाहे आम हो या खास रंगों के उमंग में भूल जाते हैं कि होलिका दहन में हरे पेड़ नहीं काटने चाहिए। पर्यावरण के लिए यह गंभीर संकट आने वाले दिनों में घातक साबित होगा। अब भी नहीं चेते तो आने वाला समय इससे भी अधिक भयावह होगा। आइए हम सब मिलकर संकल्प लें कि पर्यावरण संरक्षण करने के लिए हर स्तर पर तत्पर रहेंगे।
--- कहते हैं पर्यावरणविद्
-बुद्ध डिग्री कालेज के प्राचार्य डा.अमृतांशु शुक्ल कहते हैं कि होलिका दहन के नाम पर वर्षों से हरे पेड़ काटे जा रहे हैं। इसी का परिणाम अब भुगतना शुरू हुआ है।
-डा.डीएस तिवारी कहते हैं पर्यावरण पर इतने गंभीर संकट खड़े हो रहे हैं, जिसकी भयावहता के प्रति सतर्क नहीं हुए तो रोक लगाने का संकल्प नहीं लिया, आने वाला समय इससे भी बुरा होगा।
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हमें याद है बचपन की होली
-विनोद सिंह पटेल व लालमन यादव कहते हैं कि बचपन की होली हमें आज भी याद है। इस दिन रंग-गुलाल से सराबोर लोग मर्यादा के साथ-साथ पर्यावरण को लेकर भी अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन करते थे। हर घर से सूखी लकड़ियों से होलिका जलाई जाती थी। पर अब ऐसा देखने को नहीं मिलता है। अब यह सब गुजरे जमाने की बात है।