बालीवुड में कुशीनगर के माटी की चमक
कुछ कर गुजरने का जज्बा और लक्ष्य के प्रति समर्पण मंजिल तक ले जाती है। कुछ ऐसी ही प्रतिभा की धनी हैं कुशीनगर के तमकुहीराज की रहने वाली दीक्षा गोस्वामी।
कुशीनगर : यह बात सही है कि प्रतिभा किसी सुविधा या क्षेत्र की मोहताज नहीं होती। छोटे शहरों की प्रतिभाएं भी देर-सबेर अपना रास्ता तलाश लेती हैं। कुछ कर गुजरने का जज्बा और लक्ष्य के प्रति समर्पण मंजिल तक ले जाती है। कुछ ऐसी ही प्रतिभा की धनी हैं कुशीनगर के तमकुहीराज की रहने वाली दीक्षा गोस्वामी।
दीक्षा गोस्वामी के पिता प्रेम प्रकाश संगीत के शिक्षक हैं। ऐसे रचनात्मक माहौल में जन्मी दीक्षा का सपना बचपन से ही एक सफल अभिनेत्री बनने का था। सपने को पूरा करने के लिए पढ़ाई के बाद दीक्षा ने दिल्ली का रुख किया। वहां जाकर उसने थिएटर का बाकायदा प्रशिक्षण लिया। थिएटर करने के दौरान ही उसे भारत सरकार के कला संस्कृति विभाग के नाटक 'पियरका फ्रॉ़क' में काम करने का मौका मिला। जिसमें उसके अभिनय की खूब सराहना हुई। अगले ही प्ल 'मैं फूलन देवी' से दीक्षा दिल्ली थिएटर जगत का जाना-पहचाना नाम बन गई। दर्जनों थिएटर प्ले के बाद दीक्षा ने 'रिवेंज' तथा और भी कई शार्ट फिल्में की। हाल ही में दिल्ली यूनिवर्सिटी के सत्यवती कॉलेज और हंसराज कॉलेज में दीक्षा की आने वाली फिल्म 'कककक..किरण' की स्क्री¨नग और प्रमोशन की गई। जहां उन्हें बॉलीवुड अभिनेता आलोक पांडेय के साथ सम्मानित किया गया। निर्देशक गौरव के अनुसार अभी कई फिल्मों में प्रमुख भूमिका निभाएगी दीक्षा गोस्वामी। सत्यवती कॉलेज में प्रमोशन के दौरान प्रेस से बातचीत दीक्षा ने अपने शहर और परिवारवालों को अपनी प्रेरणास्रोत।