नहरें सूखी, किसानों के चेहरे पर उदासी
अधिशासी अभियंता बी राम ने कहा है कि वाल्मीकिनगर बैराज पर रेगुलेटर की मरम्मत का कार्य चल रहा है। वहां से मुख्य पश्चिमी गंडक नहर में पानी छोड़े जाने के बाद ही कुशीनगर की रजवाहों व माइनरों में पानी जाता है। जून के प्रथम सप्ताह में पानी आने की उम्मीद है।
कुशीनगर: लॉकडाउन का संकट झेल रहे किसानों की परेशानी कम नहीं हो रही है। अप्रैल के दूसरे पखवारे और मई के प्रथम सप्ताह में बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से रबी की फसलों को काफी क्षति हुई है। धान का बेहन गिराने, गन्ना व मक्का की सिचाई का समय चल रहा है। सब्जियों की बढ़वार के लिए भी पानी की जरूरत है, लेकिन नहरें सूखी पड़ी हैं। सिचाई विभाग की उदासीनता व प्रकृति की मार झेल रहे किसानों को समझ में नहीं आ रहा कि जरूरतों को कैसे पूरा करें। नहरों में पानी होता तो किसानों को संजीवनी मिल जाती। दो भागों में बंटी जिले की सिचाई व्यवस्था में प्रथम खंड में रजवाहों व माइनरों की संख्या 87 एवं द्वितीय में 121 है। विभाग का कहना है कि जून के पहले सप्ताह में ही नहरों में पानी आने की उम्मीद है।
परेशानी किसानों की जुबानी
हरीलाल शर्मा ने कहा है कि गर्मी बढ़ने से गन्ना व मक्का की फसल झुलस रही है। नहरों में पानी नहीं है, पंपिगसेट से सिचाई काफी महंगी साबित हो रही है।
उमाशंकर मिश्र ने कहा है कि धान का बेहन गिराने का समय बीत रहा है और नहरों में पानी नहीं है। समझ में नहीं आ रहा कि जरूरतों को कैसे पूरा किया जाए।
ध्रुव राय ने कहा है कि हर साल धान का बेहन गिराने व फसलों की सिचाई के समय नहरों में पानी नहीं रहता है। इसको लेकर जिम्मेदार गंभीर नहीं हैं।
भगवती पांडेय ने कहा है कि प्रकृति की मार सर्वाधिक किसानों को ही झेलनी पड़ रही है। बारिश, ओलावृष्टि तो नहरों में पानी की दिक्कत दूर नहीं हो रही है।
अधिशासी अभियंता बी राम ने कहा है कि वाल्मीकिनगर बैराज पर रेगुलेटर की मरम्मत का कार्य चल रहा है। वहां से मुख्य पश्चिमी गंडक नहर में पानी छोड़े जाने के बाद ही कुशीनगर की रजवाहों व माइनरों में पानी जाता है। जून के प्रथम सप्ताह में पानी आने की उम्मीद है।