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अर्पणा ने जलाई रोजगार की लौ, सौ परिवारों में खुशहाली की रोशनी

निजी स्कूल में महिला शिक्षक के रूप में कार्य करने वाली अर्पणा ने खुद की राह में आए संघर्षों व आर्थिक तंग को बड़ी शिद्दत से महसूस किया था। सिलाई-कढ़ाई ब्यूटीशियन आदि का प्रशिक्षण लेकर पहले खुद अपने पैरों पर खड़ी हुईं। ब्यूटी पार्लर खोला तो सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण केंद्र भी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Dec 2021 11:47 PM (IST)Updated: Mon, 06 Dec 2021 11:47 PM (IST)
अर्पणा ने जलाई रोजगार की लौ, सौ परिवारों में खुशहाली की रोशनी
अर्पणा ने जलाई रोजगार की लौ, सौ परिवारों में खुशहाली की रोशनी

कुशीनगर: दुदही विकास खंड के सरगटिया गांव की अर्पणा राय के प्रयास से जली रोजगार की लौ से गांव के सौ से अधिक परिवार खुशहाली की रोशनी से रोशन हो रहे हैं। अब तक विभिन्न विधाओं में सौ से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित कर स्वावलंबी बना चुकी हैं। इससे न सिर्फ जरूरतमंद महिलाओं की जरूरतें पूरी हो रही हैं, बल्कि मेक इन इंडिया को भी बल मिल रहा है। इनकी लगन देख राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की ओर से सहयोग भी मिल रहा है।

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निजी स्कूल में महिला शिक्षक के रूप में कार्य करने वाली अर्पणा ने खुद की राह में आए संघर्षों व आर्थिक तंग को बड़ी शिद्दत से महसूस किया था। सिलाई-कढ़ाई, ब्यूटीशियन आदि का प्रशिक्षण लेकर पहले खुद अपने पैरों पर खड़ी हुईं। ब्यूटी पार्लर खोला तो सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण केंद्र भी। जब इनसे आय ठीक ढंग से होने लगी तो गांव की अन्य गरीब परिवारों की मदद करने की ठानी। इसके लिए 2013 में जय मां गायत्री महिला स्वयं सहायता समूह बनाया। गांव की गेनिया देवी, रंभा देवी, अनीता देवी, बच्ची देवी, राजकुमारी देवी, कुमरिया देवी, सुगांती देवी, सकांती देवी, कैलाशी देवी, तारा देवी, गीता आदि को निश्शुल्क अपने घर पर ही ब्यूटी पार्लर, चिप्स, पापड़, सिलाई, कढाई, अगरबत्ती, गुलाल आदि बनाने का हुनर सिखाया। प्रशिक्षित करने के बाद रोजगार शुरू करने में एक लाख रुपये का आर्थिक सहयोग भी किया। आज ये महिलाएं चिप्स, पापड़ व जैविक गुलाल बनाने का कार्य कर प्रति माह 12 से 13 हजार रुपये कमा रही हैं। इससे इन महिलाओं का जीवन स्तर ही नहीं सुधरा, अगली पीढ़ी को पढ़ाई का मौका भी मिला। अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने में लगी हैं। समूह के साथ जुड़कर बेहतर कार्य करने के लिए 2019 में एसडीएम ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था। ठीक से चलने लगी गृहस्थी: सुगांती

- पति की मजदूरी से किसी तरह घर चलता था। हुनर सीखकर रोजगार मिला तो अब दोनों मिलकर घर चला रहे हैं। अब कभी दो जून की रोटी और बच्चों की पढ़ाई को लेकर परेशानी नहीं खड़ी होती। घर तो सुधरा ही आत्मविश्वास भी बढ़ा: गीता

-गीता बताती हैं कि पति राजेश लगभग सात हजार महीना कमाते थे। उसमें तीन बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च नहीं चल पाता था। अब मेरी आमदनी जुड़ जाने से घर परिवार खुशहाल है। मेरा आत्मविश्वास भी बढ़ा है। अगल-बगल के बाजारों में बिकते हैं उत्पाद

- इन महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पाद दुदही, करणपट्टी, गौरीश्रीराम, गोड़रिया, पाण्डेयपट्टी आदि बाजारों में बिकते हैं। बाजार की तुलना में इनकी कीमत कम होने व गुणवत्ता ठीक होने के चलते दुकानदार आसानी से खरीद लेते हैं।


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