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वातानुकूलित हैंगर में 30 हजार कुर्सियां

कुशीनगर में महापरिनिर्वाण बुद्ध मंदिर परिसर में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के लिए बनाए गए पंडाल में आगंतुकों के बैठने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Oct 2021 01:04 AM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 01:04 AM (IST)
वातानुकूलित हैंगर में 30 हजार कुर्सियां
वातानुकूलित हैंगर में 30 हजार कुर्सियां

कुशीनगर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बुधवार को कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के उद्घाटन के बाद महापरिनिर्वाण बुद्ध मंदिर कुशीनगर आने का कार्यक्रम है। वह यहां मंदिर का दर्शन करने के बाद श्रीलंका व भारतीय बौद्ध भिक्षुओं को चीवर दान देंगे और उन्हें संबोधित भी करेंगे। कार्यक्रम की सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं। इसके लिए मंदिर परिसर में लगभग 40 हजार लोगों के बैठने की क्षमता वाले पांच हैंगर लगाए गए हैं। पूरी तरह से वातानुकूलित हैंगर में लगभग 30 हजार कुर्सियां लगाई गई हैं। दक्षिणी प्रवेश द्वार की ओर उत्तराभिमुख मंच लगाया गया है। बुद्ध मंदिर का दर्शन करने के बाद हैंगर में पीएम बौद्ध भिक्षुओं को चीवर दान देंगे और श्रीलंका से आए बौद्ध भिक्षुओं व डेलीगेट्स और भारतीय भिक्षुओं को संबोधित करेंगे। उसके बाद पूर्वाह्न 12.30 बजे से शाम सात बजे तक उत्तर प्रदेश पर्यटन व संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित विश्व शांति और सौहा‌र्द्र के लिए भगवान बुद्ध का सार्वभौमिक सन्देश विषयक तीन दिवसीय बौद्ध सम्मेलन व अन्य कार्यक्रम प्रारम्भ होंगे।

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पूर्वांचल की प्रसिद्ध दाल, बाटी व चोखा का स्वाद लेंगे पीएम

20 अक्टूबर को सुबह कुशीनगर आ रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लंच में पूर्वांचल की प्रसिद्ध लिट्टी, चोखा, दाल का स्वाद लेंगे। लंच की जिम्मेदारी जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी को दी गई है।

कुशीनगर में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के तीन चरण हैं। 9.45 बजे प्रधानमंत्री कुशीनगर एयरपोर्ट का उद्घाटन करने के बाद महापरिनिर्वाण मंदिर जाएंगे। यहां से प्रधानमंत्री चार किमी दूर बरवा फार्म में दोपहर में सभा को संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री को यहीं लंच परोसा जाएगा।

बाटी दाल चोखा पूर्वांचल व बिहार के जनपदों के लोगों में खासा लोकप्रिय है। इस व्यंजन का नाम सुनते ही लोगों में खाने की ललक जाग उठती है। आतिथ्य सत्कार में यह व्यंजन अन्य व्यंजनों के साथ परोसा जाता है। इस व्यंजन की लोकप्रियता इस कदर बढ़ गई है कि लखनऊ व बनारस जैसे शहरों तक के रेस्टोरेंट में भी यह परोसा जाने लगा है। इसकी लोकप्रियता व पहुंच का आलम यह है कि यदि इसे दिहाड़ी मजदूर पसंद करता है, तो अमीर व सुविधा संपन्न व तथाकथित रईस धनाढ्य भी शौक से बनाना व खाना पसंद करते हैं। कुशीनगर में यह खास भोजन ग्रहण करने के निहितार्थ आम व खास दोनों तरह के लोगों से जुड़ने के लिए उठाए जा रहे कदम के रूप में देखा जा रहा है।


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