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शौचालय निर्माण में ढाई अरब खर्च, फिर भी खुले में जा रहे शौच

शौचालय निर्माण में ढाई अरब की धनराशि भी खर्च हुई लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी की वजह से हजारों शौचालय अधूरे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 10:42 PM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 10:42 PM (IST)
शौचालय निर्माण में ढाई अरब खर्च, फिर भी खुले में जा रहे शौच
शौचालय निर्माण में ढाई अरब खर्च, फिर भी खुले में जा रहे शौच

जासं, कौशांबी : पर्यावरण की स्वच्छता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन लागू किया। योजना के तहत पंचायतीराज विभाग की ओर से घर- घर मे शौचालय बनाने को विशेष अभियान चलाया जा रहा है। विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो दो लाख से अधिक शौचालय निर्माण करा दिये गए हैं। शौचालय निर्माण में ढाई अरब की धनराशि भी खर्च हुई, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी की वजह से हजारों शौचालय अधूरे हैं। विवश होकर लोगों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है।

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स्वच्छ भारत मिशन लागू होने के बाद पंचायती राज विभाग की ओर से शौचालय निर्माण के लिए जिले में 457 ग्राम पंचायतों में अभियान चलाया गया। लाभार्थियों का चयन हुआ। चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद डीपीआरओ ने प्रधान व सचिव को स्पष्ट निर्देश दिया कि शौचालय निर्माण के लिए चयनित लाभार्थियों के खाते में छह-छह हजार की धनराशि दो किश्तों में दी जाए, लेकिन अधिकतर ग्राम पंचायतों में लाभार्थियों को रुपये न देकर प्रधान व सचिव ने ही शौचालयों का निर्माण कराया है। ग्रामीणों की माने तो प्रधान व सचिव ने शौचालय निर्माण में मानक की अनदेखी की है। इसकी वजह से बनने के कुछ माह बाद ही शौचालय बेकार हो गए हैं। अधिकतर लोग उसका प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं।

बिना शौचालय के फोटो के जिम्मेदारों ने किया एमआइएस

संसू, चायल : शासन ने ग्रामीणों को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर गांवों में शौचालय का निर्माण करवाया है। इसके बावजूद इलाके का एक भी गांव खुले में शौच से मुक्त नहीं हो पाया है। प्रधानों और ग्राम सचिवों की लापरवाही के चलते शासन की मंशा परवान नहीं चढ़ पाई।

तहसील क्षेत्र के विकास खंड चायल के 29, मूरतगंज के 48, नेवादा के 74 ग्राम पंचायतों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है, लेकिन इन ग्राम पंचायतों में अधूरे शौचालयों और घटिया निर्माण (ओडीएफ) खुले में शौचमुक्त की पोल खोल रहे हैं। सोमवार को गांवों के पड़ताल के दौरान असलियत खुलकर सामने आ गई। चायल के गिरिया खालसा गांव के मजरा मुरादपुर गांव निवासी झरोखेलाल, बहादुर और फुलारे ने बताया कि प्रधान ने शौचालय का निर्माण घटिया सामग्री से करवाया है। उपयोग करने से पहले ही दरवाजा टूट कर बाहर हो गया। कई शौचालयों में गड्ढे नहीं बने हैं तो कई में सीट नहीं लगाई गई है। गांव के तीन दर्जन पात्र लाभार्थियों को अभी तक शौचालय का लाभ नहीं मिला है। मूरतगंज ब्लाक के उमरछा गांव निवासी गोरेलाल, बचऊ, पीतंबर और त्रिभुवन लाल ने बताया कि गांव में घटिया शौचालय निर्माण कराया गया था। जो ध्वस्त हो गया है। विकास खंड नेवादा के पेरवा गांव में कागज पर 250 शौचालयों का निर्माण किया गया है। कई शौचालय के एमआईएस में फोटो अपलोड नहीं की गई है। आधे से अधिक शौचालय अधूरे पड़े है। किसी में गड्ढा नहीं है तो किसी की छत नहीं बनी है। ग्रामीण सतीश और मान सिंह ने बताया कि उनको शौचालय का लाभ नहीं मिला है। इससे वह खुले में शौच करने को मजबूर है। बूंदा गांव में करीब 275 शौचालय लाभार्थियों को आवंटित किया गया है। कई शौचालय आधे अधूरे बने है। ग्रामीणों ने बताया कि जिम्मेदारों ने कई पुराने शौचालयों का पैसा निकाल कर हजम कर लिया है। दो साल में भी नहीं बने तीन दर्जन से अधिक शौचालय

संसू सिराथू: स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांव में पात्रों को शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार की धनराशि दी गई है। प्रधान व सचिवों की लापरवाही की वजह से अब भी विकास खंड सिराथू के दर्जनों गांव में शौचालय का निर्माण अधूरा है और गांव के लोगों का खुले में शौच करने के लिए बेबस हैं। सोमवार को जागरण टीम ने पइंसा गांव की पड़ताल किया तो स्पष्ट हुआ कि

भारत मिशन के तहत 531 लाभार्थियों को शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार की रकम दी गई है, इसके बावजूद भी अभी तक अधिकांश शौचालय अधूरे पड़े हैं। इसकी वजह से उनका प्रयोग नहीं हो पा रहा है। गांव के रमेश, सुरेमन ,नत्थी लाल आदि लोगों का शौचालय अधूरा पड़ा है। लोगों का कहना है कि ग्राम प्रधान व सचिव द्वारा शौचालय निर्माण दो वर्ष पहले शुरू किया गया था, लेकिन अब तक पूरा नहीं हुआ है, जबकि धनपति देवी, कुंजीलाल, रामनिहोरे व गुजरतिया को शौचालय निर्माण के लिए धन नहीं दिया गया है।


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