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तुलसीदास ज्योति तो रत्नावली हैं बाती : मोरारी बापू

जागरण संवाददाता कौशांबी महेवाघाट पर रामकथा के तीसरे दिन सोमवार को मोरारी बापू ने मानस रत्नावली की महत्ता बताई। बापू ने कहा कि ज्योति और दीपक एक दूसरे के पूरक हैं उनका कोई मूल्य नहीं। तुलसीदास ज्योति और रत्नावली दीये की बाती का प्रतिरूप हैं। ये दीप मूढ़ चेतना और ज्योतिर्मय चेतना की संगत हैं। यदि ये दीया नहीं होता तो ज्योति नहीं जलती और रामचरित मानस का उजाला जग में नहीं फैलता।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Apr 2019 11:17 PM (IST)Updated: Wed, 10 Apr 2019 07:50 AM (IST)
तुलसीदास ज्योति तो रत्नावली हैं बाती : मोरारी बापू
तुलसीदास ज्योति तो रत्नावली हैं बाती : मोरारी बापू

जागरण संवाददाता, कौशांबी : महेवाघाट पर रामकथा के तीसरे दिन सोमवार को मोरारी बापू ने मानस रत्नावली की महत्ता बताई। बापू ने कहा कि ज्योति और दीपक एक दूसरे के पूरक हैं उनका कोई मूल्य नहीं। तुलसीदास ज्योति और रत्नावली दीये की बाती का प्रतिरूप हैं। ये दीप मूढ़ चेतना और ज्योतिर्मय चेतना की संगत हैं। यदि ये दीया नहीं होता तो ज्योति नहीं जलती और रामचरित मानस का उजाला जग में नहीं फैलता।

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आगे कहा कि रत्नावली में यथार्थ दर्शन हैं। वे शैलपुत्री हैं क्योंकि उनके पिता दीनबंधु शास्त्रार्थ थे। रत्नावली एक अचल अटल पिता की पुत्री थीं। उनका जीवन ब्रह्मामय था इसीलिए उनमें ब्रह्मचारिणी व अन्य देवियों के रूप भी दिखते हैं। बापू ने कहा कि मेरी व्यासपीठ किसी को सिद्ध करने नहीं बल्कि मैं स्वयं को शुद्ध करने आया हूं। मेरी कल्पना में कोई रुचि नहीं है लेकिन शिव रूपी संकल्पना बहुत जरूरी है। पंडाल, भोजन शाला सड़क चहुं ओर राम राम जपतीं टोलियां तो कहीं विश्राम, भोजन व कीर्तन में डूबे श्रोता आनंदोत्सव का आभास कराते रहे।

तुलसीदास की पूरी साधना हरिनाम पर आधारित

रामकथा का अधिकार प्राप्त करने के लिए शिव चरित्र का दर्शन करना होगा। हनुमान प्रभु शिव का विग्रह यानि अवतार है जिनके हद्य से ही राम के दर्शन होते हैं। शिव चेतना वाले ही बार बार कथा में जाते हैं। गोस्वामी तुलसीदास की पूरी साधना हरिनाम पर आधारित है। राम नाम श्वास है जो समय पर ही देता है फल

कथाओं का रूप समय के हिसाब से बदलता रहता है लेकिन स्वरूप नहीं बदलता है। राम का नाम श्वास की तरह होता है। समय आने पर ही फल मिलता है। इसलिए राम का नाम जपना कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए। हमे संत का क्षण और अन्न का कण बिगाड़ना नहीं चाहिए। राम नाम के स्मरण से कम हो जाता है दुख

संपत्ति और विपत्ति दोनों अचानक आती है। हमारे कर्म ही विपत्ति प्रकट होने का कारण है। यदि अज्ञानतावश वो बीज हमने बो भी दिया तो उसे सींचो मत। दुख हमारे जीवन यात्रा का स्वभाव है। भगवान का नाम स्मरण करने की आदत लग गई तो दुख की तीव्रता कम हो जाएगी। समस्याओं का श्रेष्ठ उपाय है हरि सुमिरन

जब भी काम होगा तो हरि नाम से। निर्णय करने से पूर्व हमे भली भांति विचार कर लेना चाहिए। हमे कोई आदर दें तो उसकी उदारता का विचार पहले करें और हमारी योग्यता का विचार बाद में। जहां हमारा विरोध होने की संभावना हो वहां पर जाना ठीक नहीं रहता। सम्मेलन में आज देंगे काव्य रचनाओं की प्रस्तुति

महेवा घाट में मोरारी बापू की रामकथा आयोजन की सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रंखला में मंगलवार शाम कवि सम्मेलन में कवि डॉ. कुमार विश्वास, सरदार मंजीत सिंह, योगिता चैहान, बुद्धिप्रकाश, दधीचि आदि कविगण मोरारी बापू के सामने अपनी काव्य रचनाओं की प्रस्तुति देंगे। पहली बार देखा झूले चकरी, ग्रामीण हुए गदगद

मोरारी बापू ने बच्चों के लिए झूला चकरी के मनोरंजन की निश्शुल्क व्यवस्था की ईच्छा जाहिर की थी। आयोजक संत कृपा सनातन संस्था की ओर से पूरा कर दिया गया। पहली बार गांव में लगे झूला चकरी को देखकर बच्चों के साथ ही बड़े बूढ़ों में भी उत्साह का संचार रहा है। मानस मसान का विमोचन

वाराणसी में मोरारी बापू की 826वीं रामकथा मानस मसान का सोमवार को विमोचन किया। उदयपुर राजस्थान निवासी रेखा सोनी ने गत वर्ष संकलित किया था जिसका महेवा घाट रत्नावली में आयोजित रामकथा के तीसरे दिन सोमवार को बापू ने व्यासपीठ से विमोचन किया।


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