मोहरे के सहारे गांव में साम्राज्य कायम करने की कोशिश
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को के लिए सीटों पर आरक्षण की प्रक्रिया पूरी करने के बाद आचार संहिता लागू कर दी गई है। जनपद की 451 ग्राम पंचायतों में प्रधान पद के लिए चुनाव कराया जाएगा जिसमें 111 पद अनुसूचित वर्ग के लिए सुरक्षित हैं। पहले बार आरक्षण की सूची जारी होने के बाद जहां की सीटें समान्य थी। वहां लोगों ने तैयारी करनी शुरू कर दी थी। कोर्ट के निर्देश के बाद दूसरी बार आरक्षण लागू किया गया। ऐसे में कई ग्राम पंचायतों की सीटें अनुसूचित वर्ग के लिए सुरक्षित कर दी गई। इसको लेकर कद्दावर काफी परेशान हैं। अब वह अनुसूचित वर्ग के लोगों को अपना मोहरा बनाकर चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी में हैं।
कौशांबी : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को के लिए सीटों पर आरक्षण की प्रक्रिया पूरी करने के बाद आचार संहिता लागू कर दी गई है। जनपद की 451 ग्राम पंचायतों में प्रधान पद के लिए चुनाव कराया जाएगा, जिसमें 111 पद अनुसूचित वर्ग के लिए सुरक्षित हैं। पहले बार आरक्षण की सूची जारी होने के बाद जहां की सीटें समान्य थी। वहां लोगों ने तैयारी करनी शुरू कर दी थी। कोर्ट के निर्देश के बाद दूसरी बार आरक्षण लागू किया गया। ऐसे में कई ग्राम पंचायतों की सीटें अनुसूचित वर्ग के लिए सुरक्षित कर दी गई। इसको लेकर कद्दावर काफी परेशान हैं। अब वह अनुसूचित वर्ग के लोगों को अपना मोहरा बनाकर चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी में हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग के मुताबिक चौथे चरण में 29 अप्रैल को जनपद में 26 जिला पंचायत सदस्य, 654 क्षेत्र पंचायत सदस्य, 451 प्रधान व 5871 ग्राम पंचायत सदस्य के लिए मतदान कराया जाएगा। इसके लिए चुनावी आचार संहिता भी लागू कर दी गई है। जनपद में प्रधान पद की 111 सीटें अनुसूचित वर्ग के लिए सुरक्षित की गई हैं। इसमें 38 सीटें अनुसूचित महिला व 73 सीटें पुरुषों के लिए सुरक्षित की गई हैं। पहली बार लागू किए गए आरक्षण में जहां की सीटें समान्य थी। उनमें से कई सीटें अनुसूचित वर्ग के लिए सुरक्षित कर दी गई हैं। ऐसे में दावेदारी कर रहे सामान्य वर्ग के लोगों को तगड़ा झटका लगा है। गांव में अपना साम्राज्य कायम रखने के लिए मोहरा तैयार कर चुनाव मैदान में उतारने की कवायद तेज कर दी गई है। जिन ग्राम पंचायतों के प्रधान पद की सीट अनुसूचित वर्ग के लिए सुरक्षित की गई है उनमें से अधिकतर सीटों पर अनुसूचित वर्ग के लोगों को मोहरा बनाकर प्रधान पद के लिए मैदान में उतार कर प्रचार प्रसार भी शुरू कर दिए हैं। अब उन्हीं को प्रधान बनाकर सभी गांव में अपना वर्चस्व कायम रखने की जुगत में लगे हुए हैं।