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रत्न शब्द वेदकालीन है और रामचरितमानस स्वयं एक वेद

जासं कौशांबी रत्न शब्द वेदकालीन है और रामचरित मानस स्वयं एक वेद है। वेद जब व्यासपीठ पर होता है तब कोई मर्यादा लागू नहीं होती है। यह प्रसंग यमुना किनारे रत्नावली नगरी में शनिवार को मोरारी बापू ने सुनाया। पार्वती वंदना के साथ अयोध्या कांड की शुरुआत करते हुए प्रभु राम की मन स्थिति का वर्णन किया। कथा में राम वनवास भरत राजतिलक सीताहरण हनुमान द्वारा राम सुग्रीव की मित्रता लंका दहन सेतु निर्माण आदि का वृतांत कहा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 11:34 PM (IST)Updated: Sun, 14 Apr 2019 06:18 AM (IST)
रत्न शब्द वेदकालीन है और रामचरितमानस स्वयं एक वेद
रत्न शब्द वेदकालीन है और रामचरितमानस स्वयं एक वेद

जासं, कौशांबी : रत्न शब्द वेदकालीन है और रामचरित मानस स्वयं एक वेद है। वेद जब व्यासपीठ पर होता है तब कोई मर्यादा लागू नहीं होती है। यह प्रसंग यमुना किनारे रत्नावली नगरी में शनिवार को मोरारी बापू ने सुनाया। पार्वती वंदना के साथ अयोध्या कांड की शुरुआत करते हुए प्रभु राम की मन: स्थिति का वर्णन किया। कथा में राम वनवास, भरत राजतिलक, सीताहरण, हनुमान द्वारा राम सुग्रीव की मित्रता, लंका दहन, सेतु निर्माण आदि का वृतांत कहा।

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बापू ने कहा कि कलयुग इंसान अपने मूल मार्ग से भटक रहा है। कर्म का फल सब को भोगना पड़ता है। सूर्य को सदैव दूसरों के लिए ही जलना पड़ता है। संसार में भरत को जो श्रद्धापूर्वक सुनेगा व जानेगा उसे सीताराम के चरणों में अवश्य स्थान मिलेगा। कथा के मुख्य आयोजक मदन पालीवाल, रविन्द्र जोसी, रुपेष व्यास,विकास पुरोहित, मंत्रराज पालीवाल, प्रकाश पुरोहित सहित कई लोगों ने व्यासपीठ पर पुष्प अर्पित का आशीर्वाद प्राप्त किया। मनरूपी दर्पण में करें अवलोकन

युवाओं को चाहिए कि सकारात्मक सोच अपनाएं और मनरूपी दर्पण में देखना चाहिए कि हमारी बुद्धि ठीक है या नहीं? मंथरा की कुमति के कारण कैकेयी में प्रवेश करती है। किसी को भी कमजोर नही समझना चाहिए। कोई भी निर्णय लेने से पहले मंथन करना जरूरी है। सुख व दुख प्रभु की इच्छा पर ही निर्भर है। संसारी सुखता को तो स्वीकारते हैं लेकिन दुखता को जरा भी स्वीकार नहीं करते हैं। दुख जल्दी आ जाते हैं और हम उसी में डूब जाते हैं जबकि सुख भी दरवाजे पर ही खड़ा रहता है। राम रूप में सुख को अपनाएंगे तो दुख कभी सताएगा ही नहीं।

रत्नावली रत्नों की माला

रत्नावली रत्नों की माला है। रत्न का कही ना कही तेज उर्जावान तत्व से संबंध होता है। रत्न हमे जीव के शरीर से, खनिज से, वनस्पति से, अग्नि के तत्व से प्राप्त होते हैं। भगवान राम नीलमणि रत्न हैं। बौद्ध कालीन परम्परा में बुद्ध रत्न हैं। धर्म और एकता रत्न है। रत्न की महिमा सनातन रही है। कथा का विराम आज

संत कृपा सनातन संस्थान की ओर से रत्नावली धाम के महेवा घाट पर विगत आठ दिनों से चल रही अभूतपूर्व रामकथा मानस रत्नावली का विराम रविवार को होगा।

कथा के बाद अहिरन के पुरवा पहुंचे मोरारी बापू

जासं, कौशांबी : यमुना किनारे महेवाघाट रत्नावली नगरी में शनिवार मोरारी बापू ने को अयोध्या कांड की कथा कही। इसके बाद वह कुछ संतों के साथ महेवाघाट के मजरे अहिरन के पुरवा गांव पहुंचे। बापू को देकर ग्रामीण काफी खुश हुए। उन्होंने शारदा व बच्चीलाल यादव के घर के पास बैठकर कुछ क्षण बिताए। इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों के दुख-दर्द भी सुने। शाम करीब छह बजे मोरारी बापू सतुवा बाबा ने बच्ची लाल की बेटी निराशा देवी के बनाए भोजन को ग्रहण किया।


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