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हर किसी को आकर्षित करती है तथागत की तपस्थली

कौशांबी यमुना तट से लगा कोसम इनाम गांव सदियों से आस्था का बड़ा केंद्र रहा है बौद्ध और जैन मता

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 02:20 AM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 06:29 AM (IST)
हर किसी को आकर्षित करती है तथागत की तपस्थली
हर किसी को आकर्षित करती है तथागत की तपस्थली

कौशांबी : यमुना तट से लगा कोसम इनाम गांव सदियों से आस्था का बड़ा केंद्र रहा है बौद्ध और जैन मतावलंबियों के लिए। भगवान गौतम बुद्ध ने यहां चतुर्मास किया था। घोषिताराम विहार में तप करने के दौरान ही तथागत ने सत्य और अहिसा का उपदेश सारी दुनिया को दिया था। बुद्ध की इस तपस्थली की वजह से पूरी दुनिया में कौशांबी की पहचान है। इसी स्थल पर जैन धर्म के श्वेतांबर और दिगंबर संप्रदाय के भी भव्य मंदिर हैं। जैन धर्म के छठवें गुरु पद्म प्रभु की जन्म व तपोस्थली भी यही कहलाती है।

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कोसम इनाम गांव का वातावरण इतना सुरम्य है कि यहां आने वाले हर किसी का मन अनायास अध्यात्मिक रसपान करने लगता है। बुद्ध मतावलंबी जब तक यहां नहीं आते, उनकी तीर्थयात्रा अधूरी मानी जाती है। कंबोडिया, श्रीलंका, थाईलैंड समेत दुनिया के विभिन्न देशों से बौद्ध मतावलंबी वर्ष भर यहां आते हैं। बुद्ध पूर्णिमा के दिन बुद्ध महोत्सव होता है। जैन मतावलंबियों में श्वेतांबर और दिगंबर संप्रदाय से जुड़े लोग भी यहां शीश नवाने आते हैं। प्रयागराज जनपद से 56 किलोमीटर दूर यह स्थल मंदिरों के लिए जाना जाता है। पर्यटन की दृष्टि से यह खास है। सरकारी स्तर पर इस स्थल के विकास के लिए कुछ पहल जरूर हुई है।

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ठहरने का नहीं कोई इंतजाम

धार्मिक पर्यटन के लिहाज से खास इस स्थल पर रात्रि विश्राम का समुचित इंतजाम नहीं है। इसलिए दर्शन व पूजन के लिए आने वाले अनुयायी शाम को ही यहां से रवाना हो जाते हैं। अधिकतर प्रयागराज के होटलों में रुकते हैं। अब यहां शौचालय व सर्किट हाउस बनाने की पहल शुरू की गई है, यह बनने के बाद यहां रात्रि विश्राम की भी व्यवस्था रहेगी।

बौद्ध स्थल की राह होगी आसान

प्रयागराज एयरपोर्ट (बमरौली) से बौद्ध स्थल तक फोर लेन सड़क प्रस्तावित है। मुख्यमंत्री के प्राथमिकता वाले कार्यों में यह काम शामिल है। फिलहाल इसके लिए लोक निर्माण विभाग इस्टीमेट तैयार कर रहा है।

आकर्षक है बुद्ध का मंदिर

पौराणिक महत्व के इस स्थल पर गौतम बुद्ध का कोई मंदिर नहीं था। पहले अनुयायी सिर्फ स्तूप का दर्शन किया करते थे। श्रीलंका व कंबोडिया की सरकारो ने यहां भगवान बुद्ध के भव्य मंदिर का निर्माण कराया। आठ वर्ष में तैयार हुए यह मंदिर अपनी छटा से हर किसी का मन मोह लेते हैं।

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बौद्ध स्थल पर मल्टीपरपज हॉल, ओपेन एयर थियेटर, लाइब्रेरी, रिसोर्स सेंटर, रिसेप्शन व टिकट स्टेशन प्रस्तावित है। भवन, शौचालय, स्नान घर, हाल व पार्क बनाने का कार्य प्रगति पर है। पर्यटकों की सुविधा के लिए हर संभव पहल की जाएगी।

-दिनेश चंद्र, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी


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